लखनऊ : राज्य कर्मचारियों की पुरानी और पहली मांग को पूरी करते हुए शासन ने आखिरकार सोमवार को कैशलेस इलाज का आदेश जारी कर दिया। इस आदेश पर अमल से राज्य कर्मचारी निर्धारित अस्पतालों में बिना पैसे दिए इलाज की सुविधा प्राप्त कर सकेंगे। पिछले दिनों मुख्य सचिव दीपक सिंघल के साथ बनी सहमति के बाद जारी हुए आदेश को कर्मचारी नेताओं ने जहां स्वागत योग्य कदम बताया, वहीं संगठनों के बीच इसके श्रेय को लेकर खींचतान भी शुरू हो गई।
प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण अरुण कुमार सिन्हा ने बताया कि राज्य कर्मचारियों व सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारियों (पेंशनरों) को कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रमुख सचिव वित्त की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था। 1समिति ने कर्मचारियों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराए जाने पर सकारात्मक संस्तुति की थी। इसी के बाद शासन ने राज्य कर्मचारियों और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का फैसला लिया है। प्रमुख सचिव ने बताया कि इस संबंध में सोमवार को आदेश जारी कर दिया गया है।
पिछले दिनों हुई हड़ताल के बाद मुख्य सचिव दीपक सिंघल ने 15 दिन में कैशलेस इलाज का आदेश जारी करने का आश्वासन दिया था। 10 अगस्त को इसी शर्त पर कर्मचारियों ने हड़ताल समाप्त की थी। 25 अगस्त को 15 दिन पूरे होने के बाद से अटकलों का दौर शुरू हो गया था। उधर आश्वासन पर हड़ताल स्थगित करने वाले कर्मचारी नेता भी वादाखिलाफी होने पर नए आंदोलन की तैयारी करने लगे। हालांकि आंदोलित कर्मचारियों के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने 15 दिन की अवधि पूरी होने के बावजूद अगला आंदोलन शुरू करने से पहले कुछ दिन और इंतजार करने का मन बनाया था। यह इंतजार काम आया।
हाईकोर्ट का भी था दबाव :
कैशलेस इलाज का आदेश जारी कराने के लिए एक ओर कर्मचारियों का आंदोलन था तो उधर हाईकोर्ट का भी दबाव काम आया। नवंबर 2013 में इसी मांग को लेकर कर्मचारियों व सरकार के बीच चल रहे टकराव के बाद हाईकोर्ट में शासन ने जिन चार मांगों को पूरा करने का करार किया था, उसमें कैशलेस इलाज की मांग भी शामिल थी। शासन ने तब इसे लेकर न्यायालय में शपथ पत्र भी दिया था। अगस्त 2014 में शासन ने बीपीएल परिवारों की तरह राज्य कर्मचारियों को चिकित्सा सुविधा देने की नियमावली जारी की तो कोर्ट ने फिर कैशलेस इलाज की ही सुविधा देने का आदेश दिया।
यह मिलेगा लाभ :
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने बताया कि आदेश जारी होने के बाद अब परिचर्या नियमावली बनाकर इसे लागू किया जाएगा। इसके तहत एटीएम कार्ड जैसे स्मार्ट कार्ड के जरिए प्रदेश के लाखों सेवारत व सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारी और अधिकारी चिन्हित निजी अस्पतालों में कैशलेस चिकित्सा करा सकेंगे। तिवारी ने बताया कि इस दायरे में आने वाले बड़े निजी अस्पतालों में मुंबई का टाटा मेमोरियल अस्पताल भी शामिल होगा।