इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सिर्फ विभागीय जांच के आधार पर सेवानिवृत्ति लाभ नहीं रोके जा सकते। भ्रष्टाचार की शिकायत की जांच न कराना और सरकार से अनुमति मांगने के आधार पर ग्रेच्युटी व पेंशन रोकना गलत है। कोर्ट ने पीएसी नैनी से सेवानिवृत्त सहायक कमांडेंट जितेंद्र प्रताप सिंह की विधवा विद्या सिंह को नौ फीसद ब्याज के साथ पारिवारिक पेंशन का भुगतान करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने यह भी कहा है कि पारिवारिक पेंशन की गणना चार हफ्ते में और उसके बाद तीन हफ्ते में वास्तविक भुगतान कर दिया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल ने विद्या सिंह की याचिका पर दिया है। अधिवक्ता बीएन सिंह राठौर ने पक्ष रखा कि विभाग की ओर से विभाग की ओर से याची को बेवजह परेशान किया गया। याची के पति बीमार थे। 30 सितंबर, 07 को वह सेवानिवृत्त हुए थे। उन पर दो आपराधिक मामले थे जिनमें चार्जशीट नहीं दाखिल की गई। 16 सितंबर, 13 को उनकी मृत्यु हो गई। मौत से पहले उन्हें प्राविधिक पेंशन दी जा रही थी। ग्रेच्युटी रोक दी गई थी। उनकी पत्नी ने हाइकोर्ट की शरण ली। 2014 में दोनों मुकदमों में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी गई। विभागीय जांच जारी रही। इसके बाद सरकार से अनुमति मांगने के नाम पर बकाया भुगतान में हीलाहवाली की जाती रही। कोर्ट ने कहा कि एक साल से अधिक तक पारिवारिक पेंशन रोके रखना प्रताड़ना की श्रेणी में आएगा। याची को नौ फीसद ब्याज के साथ बकाये का भुगतान किया जाए।