लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अपने एक एहम फैसले में व्यवस्था दी है कि मृतक व्यक्ति के बाद उसका पोता भी मृतक आश्रित माना जाएगा। अदालत ने कहा कि कानून बनाने में यह मंशा होती है कि उस कानून से ज्यादा लोगों को लाभ मिले। पीठ ने इसी मामले में सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान पोते को दिये जाने पर पुन: सक्षम अधिकारी को गौर करने को कहा है।
यह आदेश हाइकोर्ट की लखनऊ पीठ ने याची अशोक कुमार की ओर से दायर याचिका पर दिया है। याचिका दायर कर कहा गया कि याची अशोक कुमार के बाबा की सरकारी सस्ते गले की दूकान थी। याची के पिता का पहले ही निधन हो गया था। दिनांक बारह मार्च 2014 को बाबा का भी निधन हो गया। इस पर याची ने दुकान को अपने पक्ष में दिये जाने की मांग की। सम्बंधित अधिकारी ने दिसम्बर 2015 में दुकान देने से इसलिए मना कर दिया कि याची मृतक का पोता है। कहा की शासनादेश के तहत मृतक आश्रित में केवल पत्नी, पुत्र व अविवाहित पुत्री ही आती हैं। इस आदेश को याची ने चुनौती दी। सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने पाया कि परिस्थितियों को देखते हुए याची ही उस परिवार में सबसे बड़ा सदस्य है तथा कोई अन्य व्यक्ति हकदार नहीं है। अदालत ने कहा कि मृतक पर याची पूरी तरह से आश्रित था। कहा कि याची के मामले में सक्षम अधिकारी 6 हफ्ते में नया आदेश जारी करें। अदालत ने याची को पूरी तरह से मृतक आश्रित का हकदार मानते हुए याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित कर दिया है।
यह आदेश हाइकोर्ट की लखनऊ पीठ ने याची अशोक कुमार की ओर से दायर याचिका पर दिया है। याचिका दायर कर कहा गया कि याची अशोक कुमार के बाबा की सरकारी सस्ते गले की दूकान थी। याची के पिता का पहले ही निधन हो गया था। दिनांक बारह मार्च 2014 को बाबा का भी निधन हो गया। इस पर याची ने दुकान को अपने पक्ष में दिये जाने की मांग की। सम्बंधित अधिकारी ने दिसम्बर 2015 में दुकान देने से इसलिए मना कर दिया कि याची मृतक का पोता है। कहा की शासनादेश के तहत मृतक आश्रित में केवल पत्नी, पुत्र व अविवाहित पुत्री ही आती हैं। इस आदेश को याची ने चुनौती दी। सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने पाया कि परिस्थितियों को देखते हुए याची ही उस परिवार में सबसे बड़ा सदस्य है तथा कोई अन्य व्यक्ति हकदार नहीं है। अदालत ने कहा कि मृतक पर याची पूरी तरह से आश्रित था। कहा कि याची के मामले में सक्षम अधिकारी 6 हफ्ते में नया आदेश जारी करें। अदालत ने याची को पूरी तरह से मृतक आश्रित का हकदार मानते हुए याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित कर दिया है।