इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि बिना चरित्र सत्यापन कराए व नियुक्ति पत्र पाए, किसी भी चयनित आरक्षी को ट्रेनिंग में नहीं भेजा जा सकता। दो जजों की बेंच ने एकल जज के आदेश को रद करते हुए कहा कि चयनित आरक्षी के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज होने पर उसे सीधे ट्रेनिंग पर भेजना गलत होगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन व न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार की विशेष अपील पर दिया है। सरकार की अपील पर बहस करते हुए स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय का तर्क था कि उप्र आम्र्ड कान्सटेबुलरी अधीनस्थ सेवा तृतीय संशोधन नियमावली 2013 व इसकी 2015 की नियमावली में भी व्यवस्था है कि किसी भी आरक्षी के चयन के बाद उसका सर्वप्रथम चरित्र सत्यापन होगा तत्पश्चात उसे ट्रेनिंग पर भेजा जाएगा।
याची संदीप कुमार हरिजन का पीएसी-2013 की भर्ती में चयन हुआ। उसे 27वीं बटालियन पीएसी सीतापुर में ट्रेनिंग में भेजने का आदेश जारी हुआ। इस बीच चरित्र सत्यापन में पता चला कि उसके खिलाफ आपराधिक केस दर्ज था और उसने इस तथ्य को हलफनामा में छिपा रखा था। विभाग ने उसे ट्रेनिंग पर भेजने से मना कर दिया था। एकल जज ने याची की याचिका पर निर्देश दिया था कि उसे ट्रेनिंग पर भेजा जाए, परन्तु उसकी नियुक्ति डीएम के चरित्र सत्यापन पर निर्भर करेगी। एकल जज के उस आदेश को सरकार ने विशेष अपील दायर कर चुनौती दी थी।