लखनऊ : राज्यकर्मियों की कुछ मांगों को चुनाव से पहले सरकार पूरा करने की तैयारी में है। कोशिश हो रही है कि विभिन्न भत्ताें में वृद्धि संबंधी कर्मचारियों की लंबित मांगों को पूरा कर दिया जाए। इससे सरकार की जेब पर ज्यादा बोझ भी नहीं पड़ेगा और राज्यकर्मी भी खुश हो जाएंगे।
पिछले दो सालों में अलग-अलग कर्मचारी संगठनों द्वारा वेतन और भत्ताें में वृद्धि की मांग को लेकर न सिर्फ आन्दोलन किए गए हैं बल्कि हड़तालें की गई है। सरकार ने उन्हें हर बार आश्वासन देकर शांत कराया है। इस मुद्दे पर राज्यकर्मी और अधिक परेशानी पैदा न करें, इसके लिए कर्मचारियों ऐसी मांगों को पूरा करने का फैसला किया गया है जो आसानी से पूरी हों, लेकिन सरकारी खजाने पर बोझ न पड़े। इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति को तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव आलोक रंजन की अध्यक्षता वाली समिति की मंगलवार को हुई बैठक में दर्जन भर विभागों के कर्मियों की वेतन व भत्ताें की विसंगतियों को दूर करने में बाधा बन रहे कारणों पर विचार किया गया। इसमें मकान किराया से लेकर वर्दी , साइकिल, परिवहन और शिक्षा भत्ता में वृद्धि शामिल हैं। समिति फिलहाल मकान किराया भत्ता व वाहन भत्ते में वृद्धि पर विचार किया। इसके तहत साइकिल की जगह बाइक भत्ता व वर्तमान मकान किराया में अधिकतम 20 फीसदी वृद्धि पर विचार किया गया।
जानकार बताते हैं कि मुख्य सचिव समिति के स्तर पर अभी कोई फैसला नहीं हो सका है। मुख्य सचिव की संस्तुति प्राप्त होने पर मंत्रिपरिषद के समक्ष स्वीकृत के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। पांच वर्ष पूर्व गठित मुख्य सचिव समिति कर्मचारियों की मांगों विशेषकर वेतन विसंगति, भत्ताें तथा पदों की संरचना के संबंध में कैबिनेट को संस्तुतियां भेजती है। मुख्य सचिव इसके अध्यक्ष तथा कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव इसके सदस्य सचिव होते हैं। वित्त विभाग समेत सम्बन्धित विभाग के प्रमुख सचिव इसके सदस्य हैं।