लखनऊ : केंद्रीय कैबिनेट द्वारा बुधवार को सातवें वेतन आयोग को मंजूरी दिये जाने की उम्मीद के बीच उत्तर प्रदेश में भी कर्मचारियों को इसका लाभ देने की तैयारी शुरू हो गई है। सातवें वेतन आयोग का लाभ देने पर सरकारी खजाने पर हर साल तीस हजार करोड़ रुपये से अधिक बोझ बढ़ने का अनुमान है।
सातवें वेतन आयोग की प्रारंभिक संस्तुतियों को देखते हुए प्रदेश के वित्त विभाग ने हर साल 22,777 करोड़ रुपये खर्च बढ़ने का आकलन किया था। राज्य सरकार ने केंद्र से इस मद में पहले साल 26,573 करोड़ रुपये और फिर 22,777 करोड़ रुपये वार्षिक मदद भी मांगी थी। वित्त विभाग के अधिकारियों के मुताबिक अब तक केंद्र से कोई उत्तर नहीं मिला है। इस बीच केंद्र सरकार द्वारा गठित सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति ने रिपोर्ट दे दी है और उसमें आयोग द्वारा सुझाए गए वेतन में और भी वृद्धि की बात सामने आ रही है।
इन सिफारिशों को माने जाने पर राज्य सरकार पर प्रति वर्ष औसतन 30 हजार करोड़ रुपये का बोझ बढ़ने की उम्मीद है। इससे प्रदेश के 15 लाख से अधिक कर्मचारी व पेंशनर लाभान्वित होंगे। माना जा रहा है कि बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने को मंजूरी दे देगी।