नई दिल्ली : सब कुछ ठीक रहा तो 30 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से अधिक वृद्धि हो सकती है। सरकार ने इन पर विचार के दौरान इस बात का मन बनाया है कि आयोग की सिफारिशों से अधिक वृद्धि की आवश्यकता है। वित्त मंत्रलय की तरफ से दिक्कत नहीं आई तो मूल वेतन में न्यूनतम वृद्धि 2.57 फीसद से बढ़ाकर 2.9 फीसद की जा सकती है। अगले एक पखवाड़े में केंद्रीय मंत्रिमंडल बदले हुए फामरूले के साथ वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के प्रस्ताव पर सहमति जता सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, बुधवार को वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय में कैबिनेट सचिव के साथ अहम बैठक हुई। इसमें आयोग की सिफारिशों को लेकर विचार विमर्श में यह प्रस्ताव आया। सूत्र बताते हैं कि अंतिम रिपोर्ट वित्त मंत्रलय को भेजी गई है उसे दो हफ्ते में कैबिनेट नोट तैयार कर मंत्रिमंडल के समक्ष रखना है। इसके तुरंत बाद मंत्रिमंडल अंतिम फैसला लेगा। वेतन आयोग ने अपनी सिफारिशों में पेमैटिक्स के तहत मूल वेतन में 2.57 फीसद से 2.72 फीसद वृद्धि का प्रस्ताव रखा है। इसके मुताबिक, कर्मचारियों का न्यूनतम मासिक वेतन 18,000 रुपये और अधिकतम 250,000 रुपये होगा। लेकिन बैठक के बाद वेतन में 2.9 फीसद न्यूनतम और 3.2 फीसद अधिकतम वृद्धि की सिफारिश की गई है। ऐसा होने पर पेमैटिक्स के हिसाब से न्यूनतम मासिक वेतन 23,000 रुपये और अधिकतम 325,000 रुपये तक पहुंच जाएगा। सरकार के इस फैसले का लाभ मौजूदा कर्मचारियों के साथ ही 52 लाख रिटायर्ड कर्मचारियों को मिलेगा।
छठा वेतन आयोग 1 जनवरी, 2006 से लागू हुआ था। उम्मीद है सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी, 2016 से लागू होंगी और कर्मचारियों को एरियर मिलेगा। आमतौर पर राज्यों द्वारा भी कुछ संशोधनों के साथ इन्हें अपनाया जाता है। कहा जा रहा है कि नए वेतन ढांचे में सातवें वेतन आयोग ने छठे वेतन आयोग द्वारा शुरू की गई ‘पे ग्रेड’ व्यवस्था खत्म कर इसे वेतन के मैटिक्स (ढांचे) में शामिल कर दिया है। कर्मचारी का ओहदा अब ग्रेड पे की जगह नए ढांचे के वेतन से तय होगा।