सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट को केंद्र के साथ ही राज्य के भी सभी सरकारी कर्मचारियों ने धोखा और कर्मचारी हितों का विरोधी बताया है। उन्होंने कहा है कि अगर उनकी मांगों पर विचार नहीं किया जाता है, तो वे 11 जुलाई से हड़ताल पर जाएंगे। रेलवे यूनियनों ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से दखल की मांग की है।
कर्मचारी नेताओं का कहना है कि प्रोन्नति में वेरीगुड का नया बेंचमार्क लगा दिया है। इसके निर्धारण की कोई पारदर्शी प्रक्रिया नहीं है। वहीं 20 साल में प्रमोशन न मिलने पर इन्क्रीमेंट रोकने या वीआरएस के विकल्प की सिफारिश भी कर्मचारी विरोधी है। चाइल्ड केयर लीव में दूसरे साल वेतन में 20 फीसदी कटौती करने की सिफारिश भी गलत है। नेताओं का कहना है कि 10 लाख से अधिक कर्मचारियों के पद खाली हैं, लेकिन उनके भरने के लिए कोई कवायद नहीं है। पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने पर भी आयोग चुप है। एचआरए घटाने की सिफारिश से भी कर्मचारी नाराज हैं। भले ही आयोग 23 फीसदी वेतन बढ़ोतरी का दावा कर रहा है लेकिन नॉन गजेटेड श्रेणी के कर्मचारियों के वेतन में महज 3 से 7 फीसदी का ही अंतर आ रहा है।
रेलवे समेत विभिन्न सरकारी विभागों की यूनियनों की जाइंट नैशनल काउंसिल ऑफ गर्वनमेंट एम्पलाइज के कोर्डिनेटर शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि सरकार का यह फैसला निराशाजनक है। उन्होंने कहा कि छठे पे कमिशन की रिपोर्ट के बाद वेतन में 52 फीसदी ओर उससे पहले के पे कमिशन के बाद 40 फीसदी बढ़ोतरी हुई थी। इस बार पे कमिशन के फैसले के बाद अलाउंस अलग कर दें, तो वेतन में सिर्फ 14 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस मामले में बुधवार को ही रेलमंत्री सुरेश प्रभु से उनकी बात हुई, लेकिन हल नहीं निकला। उन्होंने कहा कि अब वे चाहेंगे कि प्रधानमंत्री खुद इस मामले में दखल दें और यूनियनों को बुलाकर बात करें।
रेलवे की नैशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे के महासचिव एम. रघुवैया ने भी सरकार के फैसले को निराशाजनक बताते हुए कहा कि उनकी फेडरेशन हड़ताल के फैसले पर कायम है। अलाउंस के मामले में कमिटी बना दी गई है। अगर अलाउंस काट दिए जाते, तो शायद कर्मचारियों का वेतन बढ़ने की बजाय कम ही हो जाता।
• पीएसयू व बैंकों की तर्ज पर 5 साल में वेतन समीक्षा की मांग नहीं मानी
• प्राइस इंडेक्स के आधार पर 26 हजार की जगह 18 हजार न्यूनतम वेतन
• न्यूनतम व अधिकतम वेतन 1:8 के 1:13.8 की सिफारिश
• 5 फीसदी वार्षिक वेतन की जगह 3 फीसदी की ही सिफारिश
• प्रमोशन में 'वेरीगुड' रिमार्क बढ़ाना, 20 साल में प्रमोशन न मिलने पर वीआरएस
• एचआरए 30,20,10, से घटा 24,16 और 8 फीसदी किया जाना
• सभी एडवांस समाप्त करना गलत
• चाइल्ड केयर लीव के दूसरे वर्ष वेतन में 20 फीसदी कटौती
• परिवार नियोजन, कैश हैंडलिंग, ब्रेकडाउन, पेट्रोलिंग जैसे कई अलाउंस खत्म करना
• रिक्त पदों को भरे जाने की कोई सिफारिश नहीं
• पुरानी पेंशन बहाली पर चुप्पी
पे-कमीशन को लेकर मजदूर संगठनों को कुछ शिकायतें हैं। यूनियनों को मनाने के लिए सरकार कमिटी का गठन करेगी।-अरुण जेटली, केंद्रीय वित्त मंत्री