मंत्री और प्रमुख सचिव भी कर सकेंगे तबादले
तबादला नीति की खास बातें
लखनऊ गोलेश स्वामी चुनावी साल है इसलिए मंत्रियों और प्रमुख सचिवों की हसरत पूरी करने की तैयारी में है प्रदेश सरकार। शायद यही वजह है कि नई तबादला नीति-2016-17 में मंत्रियों और प्रमुख सचिवों को अफसरों और कर्मचारियों के तबादले करने की पूरी छूट देने जा रही है। अगले सप्ताह नई तबादला नीति को कैबिनेट से मंजूरी मिल सकती है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार पहली मई 2016 से लेकर 30 जून 2016 तक अफसरों और कर्मचारियों के तबादले की कट आफ डेट तय की जा रही है। इसके बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मंजूरी से ही तबादले हो सकेंगे। चुनावी साल होने के कारण अफसर और कर्मचारी भी चाहते हैं कि वे अपने-अपने पसंदीदा जिलों और स्थानों पर तैनाती पा जाएं। इसके लिए वे क्षेत्रीय विधायकों और अन्य सत्तारूढ़ दल के प्रभावी नेताओं से संपर्क साधे हुए हैं। विभागीय मंत्रियों पर तबादलों का दबाव अभी से पड़ने लगा है। विधायक और मंत्री भी चाहते हैं कि चुनावी साल में किसी को नाराज न किया जाए। जितना संभव हो सके, अफसरों और कर्मचारियों की पसंद से तबादला-तैनाती की जाए। इस दृष्टि से यह माना जा रहा है कि नई तबादला नीति में कुछ बदलाव हो सकता है।
’ दस साल मंडल में और छह साल जिले में सेवा पूरी करने वाले क्लास वन और टू के अफसर हटेंगे।’ विभागाध्यक्ष कार्यालयों में छह साल से जमे अफसर मुख्यालय से बाहर समान पदों पर भेजे जा सकेंगे। ’ यूपी सचिवालय में यह तबादला नीति लागू नहीं होगी। सचिवलाय की अपनी अलग नीति है। ’ विशेष परिस्थितियों में दस फीसदी से ज्यादा तबादले भी मंत्री और प्रमुख सचिव कर सकेंगे। ’ संदिग्ध सत्यनिष्ठा वाले अफसरों को संवेदनशील पदों पर तैनात नहीं किया जाएगा।