नई दिल्ली। सरकार एक ऐसी योजना पर विचार कर रही है जिसके तहत सरकारी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग से होने वाली वेतन वृद्धि के एक हिस्से का निवेश एक कोष में करने को प्रोत्साहित किया जाएगा। इस कोष का इस्तेमाल सार्वजनिक स्वामित्व वाले बैंकों के पुनपूर्ंजीकरण के लिए किया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक मोटी तनख्वाह वाले अधिकारियों को कर छूट या बेहतर मुनाफे जैसे आकर्षक प्रोत्साहन की पेशकश के जरिए कोष में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि संभाग अधिकारी से लेकर ऊंची तनख्वाह वाले सरकारी कर्मचारियों को वेतन वृद्धि में से 50 प्रतिशत हिस्सा बैंक पुनपूर्ंजीकरण बांड में डालने के लिए कहा जा सकता है।उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों की पिछले सप्ताह इस मुद्दे पर शुरुआती दौर की र्चचा हुई थी, हालांकि इस संबंध में कोई फैसला अब तक नहीं लिया गया है।
सूत्रों के मुताबिक सचिवों की समिति इस पर विचार कर रही है और विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनपूर्ंजीकरण के लिए और संसाधन जुटाए जा सकें। गौरतलब है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए दिसम्बर 2015 के अंत तक 3.61 लाख करोड़ रपए था जबकि इसी अवधि में निजी क्षेत्र का एनपीए 39,859 करोड़ रपए है।
माना जाता है कि सरकार ने सातवें वेतन आयोग के कार्यान्वयन के लिए आम बजट 2016-17 में 47 लाख सरकारी कर्मचारियों और 52 लाख पेंशनभोगियों के लिए 70,000 करोड़ रपए की राशि का प्रावधान किया है। बजट में स्पष्ट रूप से इसका ब्योरा नहीं दिया गया है। वेतन आयोग की सिफारिशों के शब्दश: अनुपालन से सरकार पर 1.02 लाख करोड़ रपए का बोझ पड़ने का अनुमान है।