लखनऊ : पदोन्नति या समय वेतनमान मिलने की स्थिति में कई वरिष्ठ राज्य कर्मचारियों को अपने कनिष्ठ की तुलना में कम वेतन मिलने लगता था। प्रदेश सरकार ने इस विसंगति को दूर कर दिया है। इससे दस हजार से अधिक कर्मचारी तुरंत लाभान्वित होंगे और भविष्य में भी ऐसी स्थिति नहीं उत्पन्न होगी।
काम संभालते समय उम्र के अंतर के कारण वैयक्तिक पदोन्नति या चयन वेतनमान मिलने की स्थिति में कई बार वरिष्ठ कर्मचारियों को कनिष्ठों की तुलना में निम्न ग्रेड वेतन या कम मूल वेतन अनुमन्य होता है। इस कारण वरिष्ठों का वेतन कम हो जाता है। कर्मचारी संगठन इस विसंगति को दूर करने का मुद्दा कई बार उठा चुके हैं। प्रमुख सचिव (वित्त) राहुल भटनागर ने मंगलवार को शासनादेश जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि वरिष्ठ का वेतन उस दिनांक से कनिष्ठ के समान कर दिया जाएगा, जिस दिनांक से कनिष्ठ का वेतन वरिष्ठ की तुलना में कम हुआ है।
एक जनवरी 2006 के बाद 30 नवंबर 2008 तक लागू रही समयमान वेतनमान की व्यवस्था के दौरान हुई वेतन विसंगतियों के मामले में भी वरिष्ठों का वेतन कनिष्ठों के बराबर कर दिया जाएगा। 16 व 26 वर्ष की सेवा पर द्वितीय व तृतीय स्तरोन्नयन दिये जाने के प्रावधान पर अमल की स्थिति में सीधी भर्ती के ग्रेड वेतन से दूसरे व तीसरे ग्रेड वेतन निर्धारण में ग्रेड वेतन 2000 रुपये को इग्नोर किया जाएगा।