इलाहाबाद।
हाईकोर्ट के तीन जजों की पूर्णपीठ ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा
है कि मृतक आश्रित कोटे के तहत दी जाने वाली अनुकंपा नियुक्ति प्रोबेशन पर
भी की जा सकती है। आवश्यक नहीं है कि सीधे स्थायी नियुक्ति ही दी जाए।
अनुकंपा नियुक्ति के मामले में यह विधि प्रश्न पीठ के समक्ष था कि मृतक
क्या मृतक आश्रित को प्रोबेशन पर नियुक्त करना सही माना जाएगा। पूर्णपीठ ने
माना कि इसमें कुछ भी गैरकानूनी नहीं है। प्रकरण पर मुख्य न्यायमूर्ति डा.
डीवाई चंद्रचूड, न्यायमूर्ति एमके गुप्ता और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की
पीठ ने सुनवाई की।
पूर्णपीठ का कहना था कि
प्रोबेशन पर किसी कर्मचारी को रखने का उद्देश्य नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा
कर्मचारी योग्यता और सेवा में बने रहने की क्षमता का परीक्षण करना होता
है। यदि अनुकंपा के तहत नियुक्त किसी कर्मचारी को प्रोबेशन पर रखा जाता है
तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। इससे पूर्व हाईकोर्ट की दो खंडपीठों ने
अलग-अलग फैसले मेें मृतक आश्रित कोटे में नियुक्त कर्मचारियों को प्रोबेशन
पर रखने को गलत माना था। इस मामले में बहस थी कि चूंकि अनुकंपा नियुक्त
स्थायी प्रकृति की होती है इसलिए प्रोबेशन पर रखना अनुचित है। पूर्णपीठ ने
कहा चूंकि कर्मचारी की नियुक्ति अनुकंपा पर होती है मगर सेवा मेें आने के
बाद उसे दूसरे कर्मचारियों की ही तरह सभी सेवा शर्तों और जिम्मेदारियों को
पूरा करना होता है। अनुकंपा पर नियुक्त कर्मचारी इस दायित्व से मुक्त नहीं
हो सकता है। नियुक्ति प्राधिकारी को अधिकार है कि उसकी योग्यता की जांच
करे। सेवा नियमावली में ऐसा उपबंध नहीं है कि अनुकंपा पर नियुक्त कर्मचारी
प्रोबेशन के प्रावधान से मुक्त है।