नई दिल्ली : केंद्रीय कर्मियों के लिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें सामने आने के बाद अब राज्य सरकारों पर भी उनके कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है। इसी का नतीजा है कि प्रदेश सरकारें अपने यहां सातवें वेतन आयोग की तरह ही वेतन वृद्धि करने के लिए केंद्र से अनुदान की मांग कर रही हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्य में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप वेतन वृद्धि करने के लिए केंद्र से 50 फीसद अनुदान की मांग की है।
मुख्यमंत्री ने ये मांगें केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से की हैं। शनिवार को यहां राज्यों के साथ बजट-पूर्व चर्चा के दौरान उत्तर प्रदेश के राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष नवीन चंद्र बाजपेयी ने मुख्यमंत्री की ये मांगे जेटली के समक्ष रखीं। मुख्यमंत्री ने बुंदेलखंड में सिंचाई, पेयजल और जल प्रबंधन के लिए विशेष पैकेज की मांग भी की है। उन्होंने कहा कि केंद्र के सहयोग के बिना यह काम संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार ने इसके लिए सिर्फ 325 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं जो अपर्याप्त हैं।
राज्य को अपेक्षानुरूप नहीं हुआ लाभ : मुख्यमंत्री का कहना है कि चौदहवें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 32 फीसद से बढ़ाकर 42 फीसद करने पर भी उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 19.67 फीसद से कम होकर 17.95 फीसद हो गई है। इसके अलावा केंद्र प्रायोजित योजनाओं के फंडिंग प्रतिरूप में भी बदलाव आने के बाद राज्य के खजाने पर बोझ बढ़ा है, इसलिए इससे राज्य को अपेक्षानुरूप लाभ नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा कि राज्य के बढ़ते खर्च को देखते हुए केंद्र सरकार को राज्य की ऋण सीमा की छूट राज्य सकल घरेलू उत्पाद के साढ़े तीन फीसद के बराबर होनी चाहिए। यादव ने राज्य में सूखा और ओलावृष्टि की क्षति का जिक्र करते हुए कहा कि इससे लगभग साढ़े सात हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है जबकि केंद्र ने मात्र 2801 करोड़ रुपये ही उपलब्ध कराए हैं।