शासनादेश के मुताबिक पद नहीं तो अधिसंख्य पद सृजित कर पक्की करनी होगी नौकरी
लखनऊ।
प्रदेश सरकार ने राजकीय विभागों, स्वशासी संस्थाओं, सार्वजनिक उपक्रमों व
निगमों, स्थानीय निकायों, विकास प्राधिकरणों व जिला पंचायतों में 31
दिसंबर, 2001 तक नियुक्त दैनिक, संविदा और वर्कचार्ज कर्मचारियों को नियमित
करने संबंधी शासनादेश जारी कर दिया है। वित्त विभाग के सचिव अजय अग्रवाल
ने प्रमुख सचिवों व सचिवों से कहा है कि इसके लिए जहां जरूरी हो वित्त
विभाग की सहमति लेकर अधिसंख्य पदों का सृजन कर लिया जाए।
शासनादेश
के मुताबिक दैनिक वेतन, वर्कचार्ज और संविदा के आधार पर नियुक्त ऐसे कर्मी
जो वर्तमान में भी उसी रूप में कार्यरत हैं एवं नियुक्ति के समय पद पर
भर्ती के लिए निर्धारित न्यूनतम अर्हता की पूर्ति करते थे, को पहले विभाग
या संस्था में उपलब्ध रिक्तियों के सापेक्ष विनियमित करने की कार्यवाही की
जाएगी। जहां रिक्तियां न हों वहां अधिसंख्य पद सृजित कर तत्काल प्रभाव से
विनियमित करने की मंजूरी दी गई है। हालांकि सार्वजनिक उपक्रम, निगम, विकास
प्राधिकरण व ऐसी स्वशासी संस्थाएं जो अपने स्रोतों से संचालित हैं, वहां
विनियमितीकरण की कार्यवाही उसी दशा में की जाएगी जब इस पर आने वाला
अतिरिक्त वित्तीय भार वे स्वयं वहन करने में सक्षम होंगे।
- बिना पूर्व अनुमति नियुक्ति संज्ञेय अपराध, वेतन से होगी वसूली
शासन
ने यह भी तय किया है कि भविष्य में शासन की पूर्व स्वीकृति के बिना
संविदा, दैनिक व वर्कचार्ज के आधार पर नियुक्ति को संज्ञेय आपराधिक कृत्य
माना जाएगा। साथ ही इस प्रकार के नियुक्त किए गए कार्मिकों को हुए भुगतान
की वसूली नियुक्ति करने वाले अधिकारियों के वेतन व अन्य देयों से की जाएगी।
- इन्हें नहीं मिलेगा लाभ
शासन
के इस आदेश का फायदा सीजनल संग्रह अमीन, सीजनल अनुसेवक, उद्यान, कृषि,
कृषि शिक्षा के अंतर्गत काम करने वाले सीजनल कर्मी, मनरेगा, आंगनबाड़ी, आशा
बहू, होमगार्ड स्वयंसेवक, प्रांतीय रक्षक दल स्वयंसेवक, शिक्षा मित्र,
किसान मित्र व केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार की योजनाओं में मानदेय या अन्य
आधार पर रखे गए कर्मचारी नहीं पाएंगे।