लखनऊ। पदोन्नति में आरक्षण से जुड़े मामले में अनियमित पदावनति से जुड़े प्रत्यावेदन अब विभाग के स्तर पर निस्तारित किए जाएंगे। प्रमुख सचिव कार्मिक एवं नियुक्ति के स्तर पर अब इनका निपटारा नहीं होगा। मुख्य सचिव आलोक रंजन ने इस संबंध में दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों अपने फैसले में गलत पदावनति से जुड़े प्रत्यावेदनों के निस्तारण की जिम्मेदारी प्रमुख सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक को सौंप दी थी। इसके बाद करीब एक हजार प्रत्यावेदन प्रमुख सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक के पास पहुंच गए। ऐसे में इनके समयबद्ध निस्तारण में समस्या खड़ी हो गई।
सरकार ने 24 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट को इस स्थिति की जानकारी दी और ऐसे प्रत्यावेदनों के निस्तारण की जिम्मेदारी प्रमुख सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक की जगह विभागीय प्रमुख सचिव या विभागाध्यक्ष तथा निगमों व संस्थानों के प्रबंध निदेशकों या नियुक्ति प्राधिकारियों को देने का आग्रह किया। अधिकारी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार का यह आग्रह स्वीकार कर लिया है। इसके बाद मुख्य सचिव आलोक रंजन ने अब विभागीय स्तर पर प्रत्यावेदनों केसमयबद्ध निस्तारण से जुड़ा शासनादेश जारी कर दिया है।
अब पदावनति या किसी कार्मिक की पदावनति न होने से क्षुब्ध कािर्मक के प्रत्यावेदनों का निस्तारण विभागीय स्तर पर किया जाएगा। प्रमुख सचिव कार्मिक ने अध्यक्ष यूपी पावर कॉर्पोरेशन, मुख्य कार्यपालक अधिकारी नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण गौतमबुद्धनगर व समस्त प्रमुख सचिवों व सचिवों को इस संबंध में कार्रवाई के लिए अलग से दिशा निर्देश जारी किया है।