देश के 85 लाख कर्मियों, पेंशनरों को हेल्थ स्कीम में करें शामिल
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार को आदेश जारी किए हैं कि मेडिकल रिइंबर्समेंट के लिए 35 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और लगभग 50 लाख सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम के तहत लाया जाए। पहले यह लाभ केवल इस स्कीम के कार्डधारकों को ही मिलता था। यह लाभ उन्हीं शहरों में रहनेवाले कर्मचारियों को मिलता था, जिन शहरों में यह योजना लागू की गई है। अभी तक इस स्कीम का लाभ केवल देश के 26 शहरों में रहने वाले कर्मचारियों और पेंशनरों को ही दिया जा रहा है।
न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर की खंडपीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि जो भी कर्मचारी और पेंशनर्स अन्य शहरों में रह रहे हैं, उन्हें भी इस स्कीम के दायरे में लाया जाए। कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिए कि छह माह के भीतर इन कर्मचारियों से ऑप्शन लिए जाएं कि वे इस स्कीम के तहत आना चाहते हैं या सीएस (एमएस) रूल्स 1944 के तहत लाभ लेना चाहते हैं। कोर्ट ने नॉन सीजीएचएस, सीजीएचएस कर्मियों में भेदभाव को असंवैधानिक ठहराया।
केंद्र का निर्णय खारिज कर हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला
यह है मामला
ऑल इंडिया रेडियो से सेवानिवृत्त शंकरलाल शर्मा को फिक्स तौर पर 100 रुपये मेडिकल भत्ता दिया जाता था। ऐसा इसलिए था कि वह नॉन सीजीएचएस शहर में आता था। बीमार होने पर शर्मा ने अपना इलाज मोहाली के निजी अस्पताल में करवाया। विभाग ने यह कहकर रिइंबर्समेंट करने से इन्कार कर दिया कि शिमला मेें रहने के कारण वह नॉन सीजीसीएच क्षेत्र में आता है। उसके बिल पास नहीं किए जा सकते हैं। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के इस फैसले को नाजायज ठहराते हुए आदेश जारी किए कि प्रार्थी को तीन महीने के भीतर बिल का भुगतान किया जाए। यदि सरकार देरी करती है तो उसे 12 प्रतिशत ब्याज सहित बिल में मांगी गई राशि का भुगतान करना होगा।
माननीय न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के कार्यकारी अंश