OROP से आएंगे सबके अच्छे दिन!' वाले
सातवें वेतन आयोग ने सेना की तर्ज पर सामान्य कर्मचारियों को भी अब वन रैंक वन पेंशन देने की सिफारिश की है। हालांकि रिपोर्ट में वन रैंक वन पेंशन शब्द का जिक्र नहीं है लेकिन आयोग ने जिस सिस्टम की बात की है उससे अगले साल के बाद रिटायर होने वाले सभी कर्मचारियों को इसी तर्ज पर पेंशन मिलेगी। मालूम हो कि हाल में सेनाओं ने वन रैंक वन पेंशन लेने के लिए एक बड़ा आं़़़दोलन किया था जिसके बाद सरकार को उनकी मांग मानने के लिए मजबूर होना पड़ा था। सातवां वेतन आयोग ने पेंशन सिस्टम की समीक्षा का सुझाव देते हुए कहा है कि इसका लाभ पैरामिलिट्री वालों को भी मिलना चाहिए।
वन रैंक वन पेंशन का मतलब : अभी सभी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय मिल रहे पे-स्केल के अनुरूप पेंशन मिलती है, लेकिन आयोग की सिफारिशें मानने पर ऐसा नहीं होगा। सरकार ऐसी व्यवस्था करेगी जिससे किसी पद विशेष पर रिटायर होने वाले अधिकारी या कर्मचारी को समान पेंशन मिकेगी, चाहे उसके रिटायर होने का वर्ष कोई भी हो। मसलन, 2015 में सचिव पद से रिटायर होने वाले अधिकारी को 2020 में उतनी ही पेंशन मिल रही होगी जितनी 2020 में इसी पद से रिटायर हुए अधिकारी को। पेंशन में समानता बनाए रखने के लिए ही इसमें सालाना 3 फीसदी ग्रोथ की सिफारिश की गई है।
कर्मचारी संगठनों में निराशा :
हालांकि कर्मचारी संगठन सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा से प्रभावित नहीं हैं। अधिकतर संगठनों का कहना है कि अनुशंसा में आंकड़ेबाजी अधिक है। भारतीय मजदूर संघ ने सातवें वेतन आयोग का यह कहते हुए विरोध किया कि इससे आय सिर्फ 16 प्रतिशत बढ़ेगी जबकि आयोग ने प्रस्तावित वृद्धि 23.55 प्रतिशत दर्शाया है। बीएमएस के महासचिव वीरेश उपाध्याय ने कहा अधिकतम और न्यूनतम वेतन में भारी अंतर है। वहीं आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का यह कहते हुए विरोध किया है कि मुद्रास्फीति के हिसाब से पिछले तीन दशक में केंद्रीय कर्मियों के वेतन में यह सबसे कम वृद्धि की गई है। वहीं रामकिशन, सेक्रेटरी जनरल ऑल इंडिया हेल्थ वर्कर असोसिएशन ने कहा कि उनकी एक भी मांग नही मानी गई है। उन्होंने कहा कि हर बार पे कमीशन उनकी अनदेखी कर रहा है। उन्होंने कहा कि सातवें वेतन आयोग में अस्तपाल में कर्मचारियों को जो भत्ता मिलता है उसे समाप्त करने की सिफारिश की गई है। छठे वेतन आयोग ने भी यही सिफारिश की थी, हालांकि उसे वापस ले लिया था। उन्होंने कहा कि एक तरफ 20-22 फीसद वृद्धि की बात कही जा रही है लेकिन असल में ऐसा नहीं है। सब आंकड़ों का खेल है। वे बताते हैं कि अभी 10 हजार बेसिक है तो डीए मिलाकर 22 हजार रुपये प्रति माह वेतन ही मिल रहा है।
पूर्व कैबिनेट सेक्रेटरी बोले, बोल्ड सिफारिश नहीं : पूर्व कैबिनेट सेक्रेटरी टीएसआर सुब्रमण्यन भी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से प्रभावित नहीं हैं। उन्होंने एनबीटी से कहा कि इस रिपोर्ट में कर्मचारियों की कार्य क्षमता कैसे बढ़े, इस पर कोई मेहनत नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि बदले समय में गवर्नेंस को चुस्त दुरुस्त करने की जरूरत है लेकिन वेतन आयोग ने अपना पूरा ध्यान आंकड़ों को घटाने-बढ़ाने में ही किया है।