नई दिल्ली : आम तौर पर वेतन आयोग की रिपोर्ट पर वित्त मंत्रलय के प्रबंधक खुश नहीं होते लेकिन इस बार हालात बदले हुए हैं। ऐसे समय जब देश की अर्थव्यवस्था में मांग पूरी तरह से खत्म हो चुकी है, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें बाजार में नई रौनक भर सकती हैं। बढ़े वेतन के बाद सरकारी कर्मचारियों की तरफ से मकान, गाड़ी और अन्य उपभोक्ता सामान की खरीद से सुस्त अर्थव्यवस्था में जान आ सकती है। यही वजह है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली वेतन आयोग लागू होने से केंद्र पर पड़ने वाले एक लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त बोझ को बहुत घाटे का सौदा नहीं मान रहे।
वित्त मंत्री ने कहा है कि वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने से कुल 1,02,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। इसमें से 78 हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था केंद्रीय बजट से करनी होगी जबकि 28 हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था रेलवे बजट में करनी होगी। देश की कुल सकल घरेलू उत्पाद का यह 0.65 फीसद पड़ता है जो बहुत ज्यादा नहीं है। जानकार भी मानते हैं कि इस बोझ को उठाना कोई मुश्किल काम नहीं है। खासतौर पर जब वित्तीय घाटे की स्थिति काफी अच्छी है।
नौ हजार रुपये होगी न्यूनतम पेंशन
नई दिल्ली : सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने पर न सिर्फ केंद्र सरकार के कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन बढ़ेगा बल्कि न्यूनतम पेंशन भी बढ़कर 9 हजार रुपये हो जाएगी। फिलहाल केंद्रीय कर्मचारियों की न्यूनतम पेंशन 3500 रुपये है। हालांकि पेंशन में औसतन 24 प्रतिशत की वृद्धि होगी। कर्मचारी संगठनों ने न्यूनतम पेंशन बढ़ाकर न्यूनतम मजदूरी से अधिक करने की मांग की थी। सातवें वेतन आयोग का कहना है कि जब सरकारी कर्मियों का न्यूनतम वेतन सात हजार रुपये से बढ़कर 18,000 रुपये हो जाएगा तो पेंशन भी 3500 रुपये से बढ़कर 9 हजार रुपये हो जाएगी।