लखनऊ: सातवें वेतन आयोग की सिफारशों के खिलाफ केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों ने शुक्रवार को जीपीओ पर प्रदर्शन किया और काली पट्टी बांधकर काम किया। कर्मचारी संगठनों ने केंद्र सरकार पर कर्मचारियों को ठगने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि कर्मचारी की तीन से छह फीसदी सैलरी बढ़ेगी। जबकि अधिकारियों की सैलरी 20 फीसदी से ज्यादा बढ़ा दी गई है।
उप्र राज्य कर्मचारी महासंघ के सदस्यों ने हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर शुक्रवार को पूरे दिन धरना दिया। महासंघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि उन्हें प्रति माह 26,000 न्यूनतम वेतन से कम की सिफारिश मंजूर नहीं है। सातवें वेतन आयोग ने महज 18,000 रुपये प्रतिमाह सैलरी निर्धारित की है। उन्होंने कहा कि आठ दिसंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे। इस दौरान महासंघ के सदस्यों ने इलाहाबाद, बनारस, आजमगढ़, बलिया, मेरठ, अलीगढ़ और आगरा में विरोध प्रदर्शन किया। महामंत्री बजरंगबली यादव ने कहा कि 19 दिसंबर को राज्य कर्मचारियों की बैठक में आगे की रणनीति तय होगी।
डाक विभाग और आयकर कर्मचारी भी प्रदर्शन में शामिल हुए। प्रदर्शन में ऑल इंडिया पोस्टल इंप्लॉइज यूनियन के अध्यक्ष वीरेंद्र तिवारी, केंद्रीय कर्मचारी समन्वय समिति के मंत्री जेपी सिंह और राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरकिशोर तिवारी शामिल हुए। उप्र राज्य कर्मचारी महासंघ ने पीडब्ल्यूडी कार्यालय गेट पर ताला जड़ प्रदर्शन किया।
• न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये के बजाय 18 हजार।
• आयोग की रिपोर्ट जनवरी 2014 की महंगाई के आधार पर है, जबकि लागू जनवरी 2016 से होनी है।
• ए और बी और सी क्लास के कर्मचारियों को मिलने वाले एचआरए में कटौती की गई है।
ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन की अपील पर शुक्रवार को नॉर्दर्न रेलवे मेंस यूनियन व एनई रेलवे मजदूर यूनियन के बैनर तले सैकड़ों कर्मचारियों ने धरना प्रदर्शन किया। चारबाग स्टेशन पर एनआरएमयू के शाखामंत्री एसके बाजपेयी के नेतृत्व में रैली निकली। लोको कारखाना, सवारी एवं माल डिब्बा कारखाना, आरडीएसओ, सिक लाइन व ब्रिज वर्कशॉप सहित कई कार्यालयों में कर्मचारियों ने घंटों प्रदर्शन किया। एनआरएमयू के मंडल मंत्री आरके पाण्डेय ने कहा कि अगर उनकी मांगों को नजरंदाज किया गया तो कर्मचारी हड़ताल करेंगे।