नई दिल्ली। आंगनबाड़ी केंद्रों के सुपरवाइजर पद पर नियुक्ति के लिए अब ज्यादा से ज्यादा आंगनबाड़ी कर्मियों को मौका मिल सकेगा। कागजों में ही सही लेकिन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने उनके प्रमोशन कोटे को दोगुना कर दिया है। इस पद के लिए प्रोन्नति में आंगनबाड़ी कर्मियों के आरक्षण का कोटा 25 से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया गया है।
सुपरवाइजर बनने के लिए स्नातक आंगनबाड़ी कर्मी को कम से कम 10 साल सेवा देना अनिवार्य है। हालांकि, पंजाब और महाराष्ट्र में सुपरवाइजर पद के लिए पहले से ही उन्हें 90 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है। लेकिन नया नियम सभी राज्यों पर लागू होगा। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देश के करीब 27 लाख आंगनबाड़ी कर्मियों पर एक सर्वे कराया गया था। यह पाया गया कि इनमें से 40 फीसदी स्नातक हैं। इसलिए इन पढ़ी-लिखी महिलाओं को आगे लाने के लिए सरकार ने प्रमोशन कोटे को दोगुना करने का निर्णय लिया है। अधिकारी ने कहा कि इसका लाभ सरकारी योजनाओं के बेहतर परिणाम के रूप में भी नजर आएगा। ज्यादा से ज्यादा लोगों तक योजनाओं को पहुंचाने और उनपर निगरानी रखने में मदद मिलेगी। जबकि इन महिलाओं को कैरियर संवारने का अधिक मौका भी मिल सकेगा। इस संदर्भ में लंबे समय से मांग भी की जा रही थी।
आंगनबाड़ी कर्मियों ने वेतन, सामाजिक सुरक्षा और सरकारी कर्मचारी की तरह अधिकार प्राप्ति जैसे कई बिंदुओं को भी सरकार के समक्ष रखा था। लेकिन सरकार ने इस पर चुप्पी साध रखी है। फिलहाल आंगनबाड़ी कर्मियों को वेतन की जगह मानदेय दिया जाता है। अमूमन एक सुपरवाइजर 20-25 आंगनबाड़ी केंद्रों पर निगरानी रखता है। वे कर्मचारियों को दिशानिर्देश भी देते हैं। आंगनबाड़ी कर्मियों को देश में 3200 से 9000 रुपए के बीच मासिक पगार मिल रहा है। जबकि सुपरवाइजर का वेतन 12000 रुपए के करीब है।