एनबीटी, लखनऊ। प्रदेश में दीपावली के दौरान मिलने वाली बोनस की मांग तेज हो गई है। कर्मचारियों की दलील है कि पिछले दो दशक से उनका बोनस नहीं बढ़ा है। हालांकि इस दौरान कर्मचारियों को दो वेतनमान का बोनस जरूर मिल गया है। वहीं, सातवें वेतन आयोग के रूप में तीसरे के लिए लिखित सहमति दे दी गई है। उप्र चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रामराज दुबे बताते है कि वह जब से नौकरी कर रहे है , तब से 3,454 रुपये ही बोनस मिल रहा है। हालांकि उसके बाद से लगातार इसको लेकर मांग रही है कि बोनस का पैसा बढ़ाया जाए, लेकिन शासन में आला पदों पर बैठे अधिकारी हमारी मांगों पर ध्यान नहीं देते है।
- दस हजार रुपये बोनस दिये जाने की मांग
जवाहर भवन इंदिरा भवन कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सतीश पांडेय और निकाय कर्मचारियों के नेता मोहम्मद अकील का कहना है कि बोनस के तौर पर दस हजार रुपये की राशि देनी चाहिए। इनकी दलील है कि बोनस में कर्मचारी को तीस दिन का एक्स्ट्रा वेतन दिया जाता है। ऐसे में आज उसके ही मूल वेतन के हिसाब उस राशि को जोड़ दिया जाए तो किसी भी कर्मचारी की राशि 10000 रुपये से कम नहीं होगी । हालांकि सरकार अभी भी इस राशि को 3454 ही कर रखा है । उसमें से भी 50 फीसदी की राशि कर्मचारी के जीपीएफ में चली जाती है। ऐसे में कर्मचारी को महज 1724 रुपये ही मिल पाता है। आज के दौर में कोई भी त्योहार कर्मचारी इतने कम पैसों से नहीं मना सकता है। इसलिए ये मांग कर्मचारियों की ओर से लंबे समय से की जा रही है।
- जीओ पर नहीं दी गई जानकारी
सरकार ने बोनस को लेकर पिछले साल जो जीओ जारी किया था, उसके अनुसार इस बात को कहीं भी क्लीयर नहीं किया है कि कर्मचारी भत्ता और बोनस में वह तीस दिन का वेतन कैसे लेते है। हालांकि इस दौरान ऐसे मुद्दे जरूर बताए गए है कि इसमें की किसी भी मानक पर खरा न उतरने के बाद कर्मचारी का बोनस रुक सकता है।