लखनऊ : ग्राम प्रधान से लेकर सांसद और विधायक तक इस बात से खफा रहते हैं कि उनकी शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई नहीं होती। विधान मंडल दल की कार्यवाही के दौरान यह मुद्दा छाया रहता है।
मुख्य सचिव आलोक रंजन ने जनप्रतिनिधियों के प्रति अधिकारियों की जवाबदेही तय करते हुए सरकारी दफ्तरों में ‘जनप्रतिनिधि पत्रचार रजिस्टर’ रखने का फरमान सुनाया है।
सांसदों, विधायकों एवं जनप्रतिनिधियों से प्राप्त शिकायती पत्रों पर त्वरित कार्यवाही के संदर्भ में गुरुवार को जारी शासनादेश में आलोक रंजन ने यह व्यवस्था दी है। मुख्य सचिव ने जनप्रतिनिधियों की शिकायतों पर कार्यवाही के लिए शासन स्तर पर हर विभागों में संयुक्त सचिव और विभागाध्यक्ष स्तर पर संयुक्त निदेशक, जिलों में उप जिलाधिकारी स्तर के अधिकारी तथा पुलिस महकमे में डीएसपी स्तर के अधिकारी को नोडल अफसर के रूप में तैनात करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने निर्देश दिया है कि जनप्रतिनिधियों से मिले पत्रों को रजिस्टर में दर्ज करें तथा उन पर की गयी कार्यवाही की स्थिति भी दर्ज की जाए। इन पत्रों की नियमित समीक्षा भी की जाएगी। इससे पत्रों के गायब होने की संभावना नहीं रहेगी।