- इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि संस्थान दूसरे जिले की सीमा में है
इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में
कहा है कि नगर निगम की सीमा से आठ किमी दूर तक स्थित संस्थानों में काम
करने वाले कर्मचारी भी उतना ही एचआरए पाने के अधिकारी हैं, जितना नगर निगम
की सीमा में रहने वालों को मिलता है। ऐसे में इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि
वह संस्थान दूसरे जनपद की सीमा में आता है।
यह फैसला मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड, न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल एवं न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पूर्णपीठ ने इस मामले में 10 दिसम्बर 2002 के शासनादेश और दो न्यायाधीशों की खंडपीठ के आदेश को सही ठहराते हुए दिया।
मिर्जापुर जिले की सीमा में आने वाले राष्ट्रीय इंटर कॉलेज शेरपुर के प्रधानाचार्य, प्रवक्ताओं और कर्मचारियों ने याचिका दाखिल करके मिर्जापुर जिले के हिसाब से हाउस रेंट एलाउंस (एचआरए) देने के जिला विद्यालय निरीक्षक के आदेश को चुनौती दी थी। जिला विद्यालय निरीक्षक ने कॉलेज के मिर्जापुर जिले में होने के आधार पर याचियों को उसी जिले के हिसाब से एचआरए देने का आदेश दिया था। जबकि राष्ट्रीय इंटर कॉलेज शेरपुर के प्रधानाचार्य, प्रवक्ताओं और कर्मचारियों का कहना था कि वे जिस कॉलेज में कार्यरत हैं वह मिर्जापुर जिले में तो आता है लेकिन उनका कॉलेज वाराणसी नगर निगम की सीमा से महज आठ किमीं दूर है।
ऐसे में वे वाराणसी में कर्मचारियों को मिलने वाले एचआरए के बराबर ही आवास भत्ता पाने के अधिकारी हैं। पूर्ण पीठ ने जिला विद्यालय निरीक्षक के आदेश को सही नहीं माना। और कहा कि एचआरए का निर्धारण करते समय जिला विद्यालय निरीक्षक को इस पर गौर करना चाहिए था कि शहर से कितनी दूर तक आबादी का मकान के किराये पर असर पड़ेगा। सामान्य तौर पर नगर निगम की सीमा से आठ किमी दूर तक आबादी का दबाव ज्यादा रहता है और इसी कारण उतनी दूर तक के मकानों का किराया भी ज्यादा होता है। इसी आधार पर आठ किमी दूर तक समान एचआरए देने का शासनादेश जारी करने का निर्णय लिया गया।
यह फैसला मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड, न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल एवं न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पूर्णपीठ ने इस मामले में 10 दिसम्बर 2002 के शासनादेश और दो न्यायाधीशों की खंडपीठ के आदेश को सही ठहराते हुए दिया।
मिर्जापुर जिले की सीमा में आने वाले राष्ट्रीय इंटर कॉलेज शेरपुर के प्रधानाचार्य, प्रवक्ताओं और कर्मचारियों ने याचिका दाखिल करके मिर्जापुर जिले के हिसाब से हाउस रेंट एलाउंस (एचआरए) देने के जिला विद्यालय निरीक्षक के आदेश को चुनौती दी थी। जिला विद्यालय निरीक्षक ने कॉलेज के मिर्जापुर जिले में होने के आधार पर याचियों को उसी जिले के हिसाब से एचआरए देने का आदेश दिया था। जबकि राष्ट्रीय इंटर कॉलेज शेरपुर के प्रधानाचार्य, प्रवक्ताओं और कर्मचारियों का कहना था कि वे जिस कॉलेज में कार्यरत हैं वह मिर्जापुर जिले में तो आता है लेकिन उनका कॉलेज वाराणसी नगर निगम की सीमा से महज आठ किमीं दूर है।
ऐसे में वे वाराणसी में कर्मचारियों को मिलने वाले एचआरए के बराबर ही आवास भत्ता पाने के अधिकारी हैं। पूर्ण पीठ ने जिला विद्यालय निरीक्षक के आदेश को सही नहीं माना। और कहा कि एचआरए का निर्धारण करते समय जिला विद्यालय निरीक्षक को इस पर गौर करना चाहिए था कि शहर से कितनी दूर तक आबादी का मकान के किराये पर असर पड़ेगा। सामान्य तौर पर नगर निगम की सीमा से आठ किमी दूर तक आबादी का दबाव ज्यादा रहता है और इसी कारण उतनी दूर तक के मकानों का किराया भी ज्यादा होता है। इसी आधार पर आठ किमी दूर तक समान एचआरए देने का शासनादेश जारी करने का निर्णय लिया गया।