- प्रोन्नति में आरक्षण मामला : तीन हफ्ते में करें डिमोट
- सरकार ने बताया 10,476 कर्मचारी किए जा चुके हैं पदावनत
- अभी करीब साढ़े तीन हजार कर्मचारी और होंगे डिमोट
- सुप्रीम कोर्ट ने फिर कहा हाई कोर्ट में इस मामले में नहीं होगी किसी याचिका की सुनवाई
प्रोन्नति में आरक्षण के मामले में सुप्रीमकोर्ट ने
उत्तर प्रदेश सरकार को कोर्ट के फैसले का अनुपालन करते हुए तीन सप्ताह में
बाकी बचे कर्मचारियों को भी पदावनत करने का आदेश दिया है। कोर्ट के सख्त
रुख के बाद प्रदेश सरकार ने 10,476 एससी एसटी कर्मचारियों को पदावनत कर
दिया है और अभी करीब साढ़े तीन हजार कर्मचारियों को और पदावनत किया जाना
है।
सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल 2012 को उत्तर प्रदेश में अनुसूचित
जाति/अनुसूचित जनजाति कर्मचारियों को प्रोन्नति में आरक्षण देने का प्रदेश
सरकार का कानून रद कर दिया था। कोर्ट के आदेश के मुताबिक जिन लोगों को इस
कानून का लाभ देकर प्रोन्नति मिली थी उन्हें पदावनत किया जाना था। जब राज्य
सरकार ने आदेश के मुताबिक पदावनति नहीं की तो सामान्य वर्ग के कर्मचारियों
ने सुप्रीम कोर्ट मे अवमानना याचिका दाखिल की। जिस पर कोर्ट आजकल सुनवाई
कर रहा है। कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश का अनुपालन कर हलफनामा
दाखिल करने का आदेश दिया था।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार के
वकील रवि प्रकाश मेहरोत्र ने कोर्ट को बताया कि आदेश का अनुपालन करते हुए
सरकार ने 10476 कर्मचारी पदावनत कर दिये हैं। इस पर याचिकाकर्ताओं के वकील
राजीव धवन व कुमार परिमल ने कहा कि अभी भी सबकी पदावनति नहीं हुई है। इस पर
मेहरोत्र ने कहा कि प्रक्रिया जारी है और जल्दी ही बचे हुए लोगों को भी
पदावनत कर दिया जाएगा। मालूम हो कि अभी लगभग साढ़े तीन हजार लोगों की
पदावनति होनी है। इसके बाद कोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश
दिया कि वह तीन सप्ताह के भीतर बाकी बचे लोगों को भी पदावनत करे। मामले पर
13 अक्टूबर को फिर सुनवाई होगी। कोर्ट ने आज एक बार फिर स्पष्ट किया कि
हाईकोर्ट इस मामले में किसी भी याचिका पर सुनवाई नहीं करेगा।
इस बीच,
पदावनत हुए कर्मचारियों की ओर से भी अपनी याचिकाओं का जिक्र किया गया। उन
लोगों ने पदावनति पर सवाल उठाते हुए कोर्ट से उनकी याचिकाओं पर सुनवाई का
आग्रह किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिकाओं पर सुनवाई 13 अक्टूबर तक
टाल दी। कोर्ट ने कहा कि पहले वे अवमानना याचिका पर सुनवाई करेंगे और अपने
पूर्व आदेश का अनुपालन सुनिश्चत करेंगे इसके बाद ही इन याचिकाओं पर विचार
किया जाएगा। पदावनत कर्मचारियों के वकीलों ने आर्थिक नुकसान का रोना रोते
हुए याचिका पर सुनवाई होने तक यथास्थिति कायम रखने का आदेश मांगा, लेकिन
कोर्ट राजी नहीं हुआ। पीठ ने कहा कि इन लोगों (अवमानना याचिका दाखिल करने
वाले सामान्य वर्ग के लोग) ने कई वर्षों तक आर्थिक नुकसान ङोला है। इनका
हित सवरेपरि है। कुछ वकीलों ने रोस्टर का पालन न होने का मुद्दा उठाया। पीठ
ने कहा कि वे सभी याचिकाओं पर 13 अक्टूबर को ही विचार करेंगे। आज कोर्ट ने
याचिकाओं पर नोटिस भी नहीं जारी किया।