केंद्रीयकर्मियों के लिए एक जुलाई 2015 से महंगाई भत्ता (डीए) और पेंशनरों
के लिए महंगाई राहत (डीआर) की घोषणा हो गई, लेकिन राज्यकर्मी डीए का इंतजार
कर रहे हैं। राज्यकर्मियों ने भी केंद्रीयकर्मियों संग डीए की घोषणा करने
की मांग प्रदेश सरकार से की है। क्योंकि विलंब से डीए मिलने से ब्याज का
नुकसान होता है।
एक जुलाई से कर्मचारियों के डीए में छह फीसद की वृद्धि
हुई है। सो, कुल डीए बढ़कर 119 प्रतिशत हो गया है। केंद्रीयकर्मियों के लिए
बढ़े डीए और पेंशनरों के लिए डीआर की घोषणा कर दी गई। खास यह कि इन्हें
नकद भुगतान होता है। फिलहाल राज्यकर्मियों के हाथ खाली हैं। पिछली बार
(जनवरी से) डीए की घोषणा के मद्देनजर इन्हें इस दफे भी नवंबर के पहले बढ़ा
महंगाई भत्ता मिलने की उम्मीद कम है। उल्लेखनीय है कि दीपावली के पहले
कर्मचारियों को करीब 35 सौ रुपये बोनस भी मिलता है। भले ही आधी रकम सामान्य
प्रॉविडेंट फंड (जीपीएफ) खाते में चली जाती है। ऐसे में अक्टूबर महीने में
डीए मिलने की उम्मीद बहुत कम है।
चूंकि, राज्यकर्मियों को डीए की रकम नकद
नहीं मिलती है, बल्कि पुरानी पेंशन के दायरे में आने वाले कर्मचारियों के
डीए की रकम उनके जीपीएफ खाते में चली जाती है और नई पेंशन से आच्छादित
कर्मचारियों की 10 प्रतिशत रकम कंट्रीब्यूटरी खाते में जाती है। शेष धनराशि
पीपीएफ में जाती है। हालांकि, जमा रकम पर ब्याज उस महीने की पहली तारीख से
जुड़ता है, जिस माह में सरकार डीए की घोषणा करती है। लिहाजा, कर्मचारियों
को चार-पांच महीने के ब्याज का नुकसान होता है। उत्तर प्रदेश राज्य
कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति के चेयरमैन हनुमान प्रसाद श्रीवास्तव का कहना
है कि या तो केंद्रीयकर्मियों के साथ राज्यकर्मियों को भी डीए मिले, अथवा
जिस तिथि से डीए की गणना होती है, उस तारीख से ब्याज भी राज्यकर्मियों को
मिले।