- साफ्टवेयर में फंसी शिक्षकों की पेंशन
फिल्म दामिनी में एक संवाद था ‘तारीख पर तारीख।’
सन्नी देओल की दमदार आवाज में बोला गया यह संवाद सूबे के उन अशासकीय
शक्षकों की हालत पर मौजूं है जो बाट जोह रहे हैं पेंशन कटौती की। वह पेंशन
निर्धारण के लिए विभाग के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन मिल रही है सिर्फ
‘तारीख’। अब नई समस्या साफ्टवेयर ने खड़ी कर दी है। यह तैयार ही नहीं हो
सका है। इंतजार के अलावा कोई रास्ता नहीं दिखता।
सरकार की सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालयों में एक अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों व कर्मचारियों को नवीन पेंशन योजना के दायरे में रखा गया है। सूबे में करीब 20 हजार शिक्षक नवीन पेंशन योजना के दायरे में हैं। उन्हें नौकरी करते हुए 10 साल व्यतीत हो चलें हैं। योजना यह है कि मूल वेतन व महंगाई भत्ते का 10 फीसद हिस्सा पेंशन मद में जमा कराया जाएगा। सरकार भी 10 फीसद अंशदान सरकार देगी। शासन ने अक्टूबर 2014 से नवीन पेंशन कटौती की प्रक्रिया शुरू करने का दावा किया था। बाद में यह तारीख जनवरी 2015 तक बढ़ी। फिर मामला मार्च, मई और जुलाई तक खिसका। अब सितंबर माह चल रहा है और पेंशन कटौती शुरू नहीं हुई है।
इलाहाबाद, लखनऊ, कानपुर, मेरठ, आगरा, अलीगढ़ समेत कुछ जनपदों में प्रान (परमानेंट रिटायरमेंट एकाउंट नंबर) आवंटन प्रक्रिया तो किसी तरह शुरू हुई, लेकिन अधिकांश जनपदों में यह काम भी धीमी गति से चल रहा है। जानकारों का कहना है कि सरकारी अंशदान किस मद से दिया जाए अभी उसकी व्यवस्था ही नहीं हो सकी है। इसका प्रमुख कारण साफ्टवेयर नहीं बनना है। पेंशन कटवाने के लिए चक्कर लगा रहे लोगों को यही बताया जाता है कि एनआइसी या यूपी डेस्को की वेबसाइट पर संबंधित शिक्षक व कर्मचारियों का पूरा ब्योरा डाल दिया गया है और पेंशन कटौती के लिए साफ्टवेयर बनाने की प्रक्रिया चल रही है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक कार्यालय पहुंचने वालों से यह भी कहा जा रहा है कि अंशदायी पेंशन योजना से संबंधित साफ्टवेयर बनने में करीब एक माह और लग सकते हैं।
सरकार की सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालयों में एक अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों व कर्मचारियों को नवीन पेंशन योजना के दायरे में रखा गया है। सूबे में करीब 20 हजार शिक्षक नवीन पेंशन योजना के दायरे में हैं। उन्हें नौकरी करते हुए 10 साल व्यतीत हो चलें हैं। योजना यह है कि मूल वेतन व महंगाई भत्ते का 10 फीसद हिस्सा पेंशन मद में जमा कराया जाएगा। सरकार भी 10 फीसद अंशदान सरकार देगी। शासन ने अक्टूबर 2014 से नवीन पेंशन कटौती की प्रक्रिया शुरू करने का दावा किया था। बाद में यह तारीख जनवरी 2015 तक बढ़ी। फिर मामला मार्च, मई और जुलाई तक खिसका। अब सितंबर माह चल रहा है और पेंशन कटौती शुरू नहीं हुई है।
इलाहाबाद, लखनऊ, कानपुर, मेरठ, आगरा, अलीगढ़ समेत कुछ जनपदों में प्रान (परमानेंट रिटायरमेंट एकाउंट नंबर) आवंटन प्रक्रिया तो किसी तरह शुरू हुई, लेकिन अधिकांश जनपदों में यह काम भी धीमी गति से चल रहा है। जानकारों का कहना है कि सरकारी अंशदान किस मद से दिया जाए अभी उसकी व्यवस्था ही नहीं हो सकी है। इसका प्रमुख कारण साफ्टवेयर नहीं बनना है। पेंशन कटवाने के लिए चक्कर लगा रहे लोगों को यही बताया जाता है कि एनआइसी या यूपी डेस्को की वेबसाइट पर संबंधित शिक्षक व कर्मचारियों का पूरा ब्योरा डाल दिया गया है और पेंशन कटौती के लिए साफ्टवेयर बनाने की प्रक्रिया चल रही है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक कार्यालय पहुंचने वालों से यह भी कहा जा रहा है कि अंशदायी पेंशन योजना से संबंधित साफ्टवेयर बनने में करीब एक माह और लग सकते हैं।