- आरक्षण से प्रोन्नति : स्वत: नहीं मिल जाती परिणामी वरिष्ठता
- कैचअप रूल : कानून न होने पर नहीं मिल सकती परिणामी वरिष्ठता
प्रोन्नति मे आरक्षण और परिणामी वरिष्ठता के कानून को
सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर खंगाला है। कोर्ट ने कहा है कि वरिष्ठता
कर्मचारी के करियर में बहुत महत्वपूर्ण होती है। वरिष्ठता के सिद्धांत
तर्कसंगत और निष्पक्ष होने चाहिए। आरक्षण पाना मौलिक अधिकार नहीं है बल्कि
ये एक सकारात्मक प्रावधान है। यदि सरकार को लगता है कि किसी वर्ग का सही
प्रतिनिधित्व नहीं है तो वह आरक्षण का प्रावधान कर सकती है, लेकिन पाने पर
स्वत: ही परिणामी वरिष्ठता नहीं मिल सकती। अगर सरकारी नीति और कानून में
इसका प्रावधान नहीं है तो पाने वाले को परिणामी वरिष्ठता नहीं मिलेगी।
वरिष्ठता अहम होती है और वरिष्ठता के सिद्धांत तर्कसंगत व निष्पक्ष होने चाहिए। आरक्षित वर्ग का कर्मचारी आरक्षण के जरिए प्रोन्नत होकर अपने वरिष्ठ से ऊंचे पद पर पहुंच जाता है तो जब कभी भी वरिष्ठ प्रोन्नति पाकर उसके बराबर आएगा तो वह फिर से अपनी वरिष्ठता प्राप्त कर लेगा। प्रोन्नति से आरक्षण पाने वाले कर्मचारी को प्रोन्नति की तिथि के आधार पर वरिष्ठता नहीं मिलेगी। ~ सुप्रीम कोर्ट
न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर व न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ ने एससी एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण और परिणामी वरिष्ठता के मामले में मद्रास हाई कोर्ट का आदेश निरस्त करते हुए तमिलनाडु सरकार को चार महीने के भीतर लागू करते हुए असिस्टेंट डिवीजनल इंजीनियर्स की दोबारा वरिष्ठता सूची बनाने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी जूनियर इंजीनियर को आरक्षण का लाभ देते हुए असिस्टेंट डिवीजनल इंजीनियर पद पर प्रोन्नति के साथ परिणामी वरिष्ठता दी गई है तो उसे पदावनत किया जाए।
इस मामले में सामान्य वर्ग के कर्मचारी सुप्रीमकोर्ट आए थे। इनका कहना था कि जबतक कानून में प्रोन्नति में आरक्षण के साथ परिणामी वरिष्ठता का प्रावधान न हो तबतक स्वत: परिणामी वरिष्ठता नहीं दी जा सकती। सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि कर्मचारी के कैरियर में वरिष्ठता बहुत महत्वपूर्ण होती है और उसकी भविष्य की प्रोन्नति उस पर निर्भर होती है। इसलिए वरिष्ठता का निर्धारण तर्क संगत और निष्पक्ष सिद्धांतों के आधार पर होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने तमिलनाडु हाईवे इंजीनियरिंग सर्विस के लिए प्रोन्नति में आरक्षण के साथ परिणामी वरिष्ठता का नीतिगत फैसला या नियम नहीं बनाया है इसलिए प्रोन्नति से आरक्षण पाने वाले कर्मचारियों को स्वत: परिणामी वरिष्ठता नहीं मिलेगी।
कोर्ट ने फैसले में आरक्षण के मुद्दे पर अब तक आए फैसलों का जिक्र किया है जिसमें उत्तर प्रदेश के प्रोन्नति में आरक्षण और परिणामी वरिष्ठता निरस्त करने के फैसले की भी चर्चा की गई है। पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि आरक्षण अधिकार नहीं है ये एक सकारात्मक प्रावधान है जिसके जरिए सरकार पिछड़े लोगों को आरक्षण दे सकती है। आरक्षण देते समय सरकार को प्रशासन की कार्यकुशलता बनाए रखने पर भी विचार करना होगा।