- शासनादेश
- वित्तीय हानियों का अंतर वैयक्तिक वेतन के जरिए होगा दूर
- मुख्य सचिव ने सभी विभागों को पदावनत संबंधी शासनादेश जारी किया
- पदावनति के बाद भी कम नहीं होगा वेतन
- रिवर्ट होने वाले पाएंगे नुकसान के बराबर वैयक्तिक वेतन
- प्रमोशन वाले पाएंगे आरक्षित वर्ग के जूनियर से कम पैसा
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद हरकत में आई राज्य सरकार ने
शुक्रवार को आरक्षण के तहत प्रोन्नत कर्मचारियों को पदावनत करने का
शासनादेश भी जारी कर दिया। इसमें स्पष्ट किया गया है कि फिलहाल पदावनत
कर्मियों का वेतन कम नहीं किया जाएगा। निचले पद पर जाने के बाद होने वाली
वित्तीय हानि को वैयक्तिक वेतन देकर पूरा किया जाएगा।
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>> पदोन्नति में आरक्षण एवं परिणामी ज्येष्ठता के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय/आदेश का अनुपालन कराये जाने के संबंध में (डिमोशन संबंधी आदेश) देखें!
मुख्य सचिव आलोक
रंजन की ओर से सभी विभागों को जारी किए गए शासनदेश के अनुसार 28 अप्रैल
2012 के पूर्व एवं 15 नवंबर 1997 के बाद प्रोन्नत कर्मियों को पदावनत किया
जाएगा। पदावनत किए गए आरक्षित श्रेणी के कार्मिक को परिवर्तित पद का वेतन
ही अनुमन्य होगा। पदावनति के ठीक एक पूर्व के माह में कर्मी को प्राप्त हो
रहीं परिलब्धियां (मूल वेतन, महंगाई भत्ते व अन्य भत्ता) में कोई वित्तीय
हानि न हो, इसके लिए उन्हें वैयक्तिक वेतन अनुमन्य किया जाएगा। यह राशि
पदावनति के बाद प्राप्त होने वाली परिलब्धियों और पदावनति के ठीक पूर्व के
माह में मिल रही परिलब्धियों के अंतर के बराबर होगी। वैयक्तिक वेतन आगे के
वर्षो में उसी अनुपात में कम होता जाएगा जिस सीमा तक कर्मचारी के मूल वेतन
में वार्षिक वेतन वृद्धि व अन्य भत्ताें सहित सकल वेतन में वृद्धि हो रही
है। पदावनत कर्मी की कुल मासिक परिलब्धियां तब तक फ्रीज रहेंगी जब तक कि
उसके आसन्न वरिष्ठ कर्मी की परिलब्धियां उसके बराबर या अधिक न हो जाएं।
शासनादेश में यह स्पष्ट किया गया है कि आरक्षण का लाभ प्राप्त कर प्रोन्नत हुए कर्मी पदावनति के बाद पदावनत पद के अनुरूप ही सुविधाएं प्राप्त करेंगे। पदावनतकर्मी को प्राप्त हो रही परिलब्धियों (वैयक्तिक वेतन भी शामिल) के आधार पर वरिष्ठता क्रम का कोई लाभ नहीं प्राप्त होगा। अनारक्षित वर्ग के पदधारकों द्वारा इस आधार पर वैयक्तिक वेतन की मांग नहीं की जाएगी कि वे पदावनतकर्मी से वरिष्ठ हैं। पदावनति के परिणाम स्वरूप जो रिक्तियां उपलब्ध होंगी, उन पर संशोधित वरिष्ठता सूची के आधार पर ही पदोन्नति की कार्यवाही की जाएगी।1मुख्य सचिव द्वारा सभी प्रमुख सचिव, सचिव, विभागाध्यक्ष, कार्यालयाध्यक्ष, मंडलायुक्त व जिलाधिकारियों को जारी आदेश मिलते ही विभिन्न विभागों में पदावनति की कवायद भी शुरू हो गई है।उत्तर प्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों जनजातियों एवं अन्य पिछड़े वर्गो के लिए आरक्षण) अधिनियम-1994 की धारा-3(7) के प्रावधान के अनुसार पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देकर 15 नवंबर, 1997 के बाद पदोन्नत कार्मिकों को उनसे कनिष्ठ कर्मी जिस स्तर पर कार्यरत हों, उस स्तर तक पदावनत किया जाएगा।
शासनादेश में यह स्पष्ट किया गया है कि आरक्षण का लाभ प्राप्त कर प्रोन्नत हुए कर्मी पदावनति के बाद पदावनत पद के अनुरूप ही सुविधाएं प्राप्त करेंगे। पदावनतकर्मी को प्राप्त हो रही परिलब्धियों (वैयक्तिक वेतन भी शामिल) के आधार पर वरिष्ठता क्रम का कोई लाभ नहीं प्राप्त होगा। अनारक्षित वर्ग के पदधारकों द्वारा इस आधार पर वैयक्तिक वेतन की मांग नहीं की जाएगी कि वे पदावनतकर्मी से वरिष्ठ हैं। पदावनति के परिणाम स्वरूप जो रिक्तियां उपलब्ध होंगी, उन पर संशोधित वरिष्ठता सूची के आधार पर ही पदोन्नति की कार्यवाही की जाएगी।1मुख्य सचिव द्वारा सभी प्रमुख सचिव, सचिव, विभागाध्यक्ष, कार्यालयाध्यक्ष, मंडलायुक्त व जिलाधिकारियों को जारी आदेश मिलते ही विभिन्न विभागों में पदावनति की कवायद भी शुरू हो गई है।उत्तर प्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों जनजातियों एवं अन्य पिछड़े वर्गो के लिए आरक्षण) अधिनियम-1994 की धारा-3(7) के प्रावधान के अनुसार पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देकर 15 नवंबर, 1997 के बाद पदोन्नत कार्मिकों को उनसे कनिष्ठ कर्मी जिस स्तर पर कार्यरत हों, उस स्तर तक पदावनत किया जाएगा।
लखनऊ।
प्रमोशन में आरक्षण और परिणामी ज्येष्ठता की बदौलत पदोन्नति पाने वालों को
पदावनत (रिवर्ट) होने की दशा में भी सैलरी वही रहेगी। यानी उन्हें कोई
आर्थिक नुकसान नहीं होगा। इसके लिए सरकार ने नए वेतन का ढांचा तय कर दिया
है। इसके तहत रिवर्ट होने वाले को मौजूदा पद के वेतन और नए पद के वेतन के
अंतर के बराबर वैयक्तिक वेतन दिया जाएगा। पर, इसकी गणना इनके पेंशन और
कटौती के संदर्भ में नहीं की जाएगी। फॉर्मूले के अनुसार, सामान्य व पिछड़े
वर्ग के कार्मिक वरिष्ठता और पदोन्नति तो पा जाएंगे, बावजूद इसके इनका वेतन
आरक्षित वर्ग के अपने जूनियर से कम ही रहेगा। अनुसूचित जाति के अधिकारियों
व कर्मचारियों को रिवर्ट करने संबंधी आदेश में इस बारे में स्पष्ट कर दिया
गया है।
जानकारी के मुताबिक, मुख्य सचिव
आलोक रंजन ने सभी विभागों को तत्काल इस आदेश पर अमल कर पूरा ब्यौरा सरकार
को भेजने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार को इस बारे में 15
सितंबर तक कार्रवाई करके सर्वोच्च न्यायालय को बताना है। मुख्य सचिव के
आदेश के बाद विभागों में रिवर्ट होने वाले कर्मियों की सूची बनाने का काम
शुरू हो गया है। फाइलों को खंगालकर वरिष्ठता सूची को नए सिरे से बनाने के
निर्देश दे दिए गए हैं। इस आदेश से लगभग आरक्षित वर्ग के 20 हजार लोगों के
रिवर्ट होने का अनुमान है। उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने 28
अप्रैल 2012 को पदोन्नति में आरक्षण और परिणामी ज्येष्ठता की व्यवस्था को
असंवैधानिक घोषित कर दिया था। साथ ही 15 नवंबर 1997 के बाद प्रमोशन में
आरक्षण और परिमाणी ज्येष्ठता के आधार पर पदोन्नति पाने वाले कर्मियों को
रिवर्ट करने को कहा था।