- चयन वर्ष से देखी जाएगी प्रोन्नति की अर्हता
- एलटी ग्रेड टीचर को प्रवक्ता पद पर प्रोन्नति का मामला
हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रोन्नति के लिए पांच वर्ष की अर्हता
की गणना पद रिक्त तारीख से नहीं देखी जाएगी बल्कि चयन वर्ष से देखी जाएगी।
पद रिक्त तारीख पर यदि प्रोन्नति के लिए पांच वर्ष की अर्हता नहीं है
किन्तु चयन वर्ष या तारीख तक पांच वर्ष की अर्हता पूरी कर ली है तो ऐसे
अभ्यर्थियों की प्रोन्नति की जा सकेगी। कोर्ट के इस फैसले से एलटी ग्रेड
अध्यापकों को प्रवक्ता पद पर प्रोन्नति की राह आसान हुई है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीवाई चन्द्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति यशवन्त वर्मा की खण्डपीठ ने विजय सोनकर की विशेष अपील पर दिया है। अपील पर अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने बहस की। इनका कहना था कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन एक्ट 1998 के नियम 14 में कहा गया है कि एलटी ग्रेड से प्रवक्ता पद पर प्रोन्नति के लिए चयन वर्ष की प्रथम तिथि को प्रोन्नति अर्हता अनुभव के रूप में देखा जायेगा। कोर्ट ने पूर्णपीठ के फैसले के प्रकाश में कहा है कि पांच वर्ष की अर्हता चयन वर्ष से देखी जायेगी। याची 2006 में एलटी ग्रेड टीचर नियुक्त हुआ था। जून 2009 में प्रवक्ता का पद खाली हुआ। उसने भी प्रोन्नति के लिए आवेदन किया क्योंकि चयन वर्ष 2013 में किया जा रहा था। चयन के समय पांच वर्ष के अनुभव की अर्हता रखने के कारण याची ने आवेदन किया किन्तु रिक्त तारीख पर पांच वर्ष का अनुभव न होने के कारण उसे अनुमति नहीं दी गयी। याचिका खारिज हो गयी थी जिसे अपील में चुनौती दी गयी थी।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीवाई चन्द्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति यशवन्त वर्मा की खण्डपीठ ने विजय सोनकर की विशेष अपील पर दिया है। अपील पर अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने बहस की। इनका कहना था कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन एक्ट 1998 के नियम 14 में कहा गया है कि एलटी ग्रेड से प्रवक्ता पद पर प्रोन्नति के लिए चयन वर्ष की प्रथम तिथि को प्रोन्नति अर्हता अनुभव के रूप में देखा जायेगा। कोर्ट ने पूर्णपीठ के फैसले के प्रकाश में कहा है कि पांच वर्ष की अर्हता चयन वर्ष से देखी जायेगी। याची 2006 में एलटी ग्रेड टीचर नियुक्त हुआ था। जून 2009 में प्रवक्ता का पद खाली हुआ। उसने भी प्रोन्नति के लिए आवेदन किया क्योंकि चयन वर्ष 2013 में किया जा रहा था। चयन के समय पांच वर्ष के अनुभव की अर्हता रखने के कारण याची ने आवेदन किया किन्तु रिक्त तारीख पर पांच वर्ष का अनुभव न होने के कारण उसे अनुमति नहीं दी गयी। याचिका खारिज हो गयी थी जिसे अपील में चुनौती दी गयी थी।