नई दिल्ली मोदी सरकार ने 7वें वेतन आयोग का टर्म 4 महीने के लिए बढ़ा दिया है। अब आयोग 31 दिसंबर 2015 तक रिपोर्ट दे सकती है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई कैबिनेट मीटिंग में यह फैसला लिया गया। 7वें वेतन आयोग का गठन तत्कालीन यूपीए-2 सरकार ने किया था। फरवरी 2014 में जस्टिस अशोक कुमार माथुर के नेतृत्व में बने आयोग से 18 महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा गया था और 1 जनवरी 2016 से इसे लागू करना है। इसका लाभ देश के 55 लाख मौजूदा केंद्रीय कर्मचारियों के अलावा रिटायर कर्मियों को भी मिलेगा।
15 से 20 फीसदी बढ़ोतरी संभव!
सूत्रों के मुताबिक, आयोग तमाम पक्षों से बात करने के बाद 15 से 20 फीसदी वेतन वृद्धि कर सकती है। संसद के मॉनसून सत्र में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी जब पूरक बजट रखा था तब वेतन मद में अगले साल के लिए लगभग 16 फीसदी वृद्धि होने की बात कही थी। इससे संकेत गया कि सरकार अगले साल इसे तय समय पर लागू कर देगी। लेकिन अब आयोग का टर्म 4 महीने देर होने से अब इसके समय पर लागू होने पर संदेह पैदा होने लगा है। सूत्रों के अनुसार, आयोग की रिपोर्ट मिलने के बाद इसपर वित्त विभाग को भी 3 महीने से ज्यादा का समय लगेगा ताकि वो आयोग की अनुशंसा पर रिपोर्ट तैयार कर सके। इसके बाद कैबिनेट इसे मंजूर करेगी। इसका मतलब है कि 7वें वेतन आयोग को लागू करने में 6 महीने की देरी हो सकती है।
15 से 20 फीसदी बढ़ोतरी संभव!
सूत्रों के मुताबिक, आयोग तमाम पक्षों से बात करने के बाद 15 से 20 फीसदी वेतन वृद्धि कर सकती है। संसद के मॉनसून सत्र में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी जब पूरक बजट रखा था तब वेतन मद में अगले साल के लिए लगभग 16 फीसदी वृद्धि होने की बात कही थी। इससे संकेत गया कि सरकार अगले साल इसे तय समय पर लागू कर देगी। लेकिन अब आयोग का टर्म 4 महीने देर होने से अब इसके समय पर लागू होने पर संदेह पैदा होने लगा है। सूत्रों के अनुसार, आयोग की रिपोर्ट मिलने के बाद इसपर वित्त विभाग को भी 3 महीने से ज्यादा का समय लगेगा ताकि वो आयोग की अनुशंसा पर रिपोर्ट तैयार कर सके। इसके बाद कैबिनेट इसे मंजूर करेगी। इसका मतलब है कि 7वें वेतन आयोग को लागू करने में 6 महीने की देरी हो सकती है।
- लैंड बिल पर नया अध्यादेश नहीं : लैंड बिल पर अब फिलहाल आगे अध्यादेश आने की संभावना बेहद कम है। 31 अगस्त को खत्म हो रहे अध्यादेश से पहले सरकार को इस बारे में नया अध्यादेश लाना था। लेकिन बुधवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में लैंड बिल के अध्यादेश के मुद्दे पर चर्चा ही नहीं हुई। चर्चा है कि अध्यादेश को लेकर देश के अटॉर्नी जनरल से भी राय मांगी गई थी।