- राजकीय शिक्षकों को एसीपी का लाभ नहीं
- मुख्य सचिव समिति ने नहीं माना औचित्य, ठुकराई मांग
- कहा- इन्हें एसीपी देने से दूसरे विभागों के शिक्षक भी मांगने लगेंगे
लखनऊ।
राज्य सरकार ने राजकीय कॉलेजों के शिक्षकों को राज्यकर्मियों की तरह एसीपी
देने से इन्कार कर दिया है। राजकीय शिक्षक संघ की मांग पर माध्यमिक शिक्षा
विभाग ने यह प्रस्ताव मुख्य सचिव समिति को भेजा था, जिसने एसीपी देने की
मांग नहीं मानी।
मुख्य सचिव आलोक रंजन की
अध्यक्षता में गठित इस समिति में प्रमुख सचिव वित्त राहुल भटनागर, प्रमुख
सचिव कार्मिक राजीव कुमार, प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा जितेंद्र कुमार और
सचिव वित्त शामिल थे। समिति ने एसीपी के पक्ष में दिए गए तर्कों पर विचार
के बाद कहा कि सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं के शिक्षकों को भी राजकीय
शिक्षकों की तरह वेतन बैंड, ग्रेड वेतन व समयमान वेतनमान की सुविधा प्राप्त
है। अगर राजकीय विद्यालयों के शिक्षकों को केंद्र सरकार से समकक्षता को
भंग कर राज्य कर्मियों की तरह एसीपी का लाभ दिया जाता है तो सहायता प्राप्त
शिक्षण संस्थाओं के शिक्षकों द्वारा भी उसी प्रकार की मांग की जाएगी।
यही
नहीं राजकीय शिक्षकों की तरह ही समाज कल्याण, नि:शक्तजन विभाग, अल्पसंख्यक
कल्याण और कारागार विभाग द्वारा संचालित शिक्षण संस्थाओं के शिक्षक भी
राज्यकर्मियों की तरह एसीपी की मांग करने लगेेंग, जिसे नकार पाना कठिन
होगा। इसके साथ ही राजकीय शिक्षकों को राज्यकर्मियों की तरह एसीपी देने के
औचित्य को नकरा दिया। हालांकि समिति ने राजकीय शिक्षकों के लिए समयमान
वेतनमान की वर्तमान व्यवस्था को यथावत बनाए रखने की संस्तुति की। सचिव
वित्त अजय अग्रवाल ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया है।