- पेंशन फंड में सरकार नहीं दे पाई अंशदान
प्रदेश सरकार राज्य कर्मचारियों के पेंशन फंड में
अपना पूरा योगदान नहीं कर पा रही है। यह हाल पिछले पांच सालों से है। अपना
अंशदान जमा करने में लेट लतीफी से सरकार पर आर्थिक बोझ बाद में खासा बढ़
जाएगा। यही नहीं, फंड में पूरा पैसा न आने से कर्मचारियों की पेंशन का ठीक
से हिसाब- किताब करना भी मुश्किल होगा।
अभी सरकार को कुल 553.83 करोड़ रुपए
जमा करना होगा। प्रदेश के महालेखाकार ने यह सवाल वित्त विभाग के अफसरों के
सामने उठाया तो पता चला कि सरकार ने पूरा अंशदान नहीं किया है। शुरुआत
में तो बहुत कम अंशदान किया गया। पेंशन अधिकारियों ने माना कि 2005 से 2012
के बीच कर्मचारियों द्वारा जमा की गई धनराशि के बराबर का अंशदान सरकार की
ओर से 411.31 करोड़ रुपए जमा किया जाना है। अंशदान अब जमा कराने की तैयारी
है।
साल 2012 से सरकार अंशदान सीधे कोषागार में जमा कराती है। अब सरकार
महालेखाकार से मिले ब्यौरे के आधार पर देखेगी कि कितना अंशदान सरकार को
करना है? असल में नई पेंशन स्कीम में आने वाले सभी राज्य कर्मियों को अपने
वेतन व महंगाई भत्ते का दस प्रतिशत रकम पेंशन फंड के लिए क टानी होती है।
इतनी ही रकम सरकार को अंशदान के रूप में उसके पेंशन खाते में जमा करानी
होती है। पेंशन रकम का भुगतान रिटायरमेंट पर होना है, इसलिए अधिकारी मामले
में उतनी तत्परता नहीं दिखाते। सूत्रों के मुताबिक अंशदान जमा करने की देरी
से आगे हिसाब गड़बड़ाने की आशंका है।