- अंशकालिक शिक्षकों के लिए पांच वर्ष की सेवा संबंधी पाबंदी हटी
- जारी किया गया शासनादेश
शासन ने वित्तविहीन मान्यता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के अंशकालिक शिक्षकों को मानदेय दिए जाने के संबंध में न्यूनतम पांच वर्ष से कार्यरत होने की शर्त हटा दी है। इसके अलावा विद्यालय में तैनात शिक्षकों के आरक्षण की स्थिति भी स्पष्ट कर दी गई है। यह निर्णय बीते दिनों प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया। इस संबंध में शासनादेश भी जारी कर दिया गया है। साथ ही जिला विद्यालय निरीक्षकों से संशोधित आदेश के क्रम में सूचनाएं भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
मौजूदा समय में प्रदेश में 19 हजार वित्तविहीन विद्यालयों में करीब दो लाख 57 हजार वित्तविहीन शिक्षक कार्यरत हैं। सपा सरकार ने 2012 के विधान सभा चुनाव के दौरान अपने घोषणा पत्र में वित्तविहीन शिक्षकों को मानदेय दिए जाने का वादा किया था। वहीं वित्त विहीन शिक्षक भी मानदेय के रूप में 10 हजार रुपए की मांग करते आ रहे हैं। इसको लेकर शासन ने अंशकालिक शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता व अन्य ब्यौरा इकट्ठा करावाने की कार्रवाई शुरू की।
बीते 8 जून को शासन ने अंशकालिक शिक्षकों के संबंध में मांगी जाने वाली सूचनाओं में दो बिंदु और बढ़ा दिए। जिसमें तय किया गया कि पांच वर्ष से विद्यालय में कार्यरत अध्यापकों का ही ब्यौरा दिया जाए। साथ ही अंशकालिक शिक्षकों के चयन में आरक्षण नियमों के पालन की स्थिति भी शामिल की जाए।
इसको लेकर शिक्षक जनप्रतिनिधियों व कुछ संस्था के प्रबंधकों ने समस्या जताई। कहा गया कि इन बिंदुओं से सूचनाएं नहीं तैयार हो पा रही हैं। वहीं दूसरी ओर शिक्षकों भी निराशा हो रही थी।माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने भेजा था प्रस्ताव : अंशकालिक शिक्षकों के संबंध में बढ़ाए गए बिंदुओं पर सूचनाएं इक्ट्ठा करने पर आ रही दिक्कतों की वजह से माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने इसे हटाने के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा था। जिस पर निर्णय लिया गया है कि पांच वर्ष की सेवा संबंधी शर्त हटा दी जाए। शिक्षक एमएलसी उमेश द्विवेदी ने बताया कि इस संबंध में शासन से शासनादेश भी कर दिया गया है।