- प्रोन्नति में आरक्षण
- प्रदेश सरकार के खिलाफ दाखिल की अवमानना याचिका
- सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
प्रोन्नति में आरक्षण के मामले में उत्तर प्रदेश
सरकार की उलझने बढ़ती नजर आ रही हैं। सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के भय से
प्रदेश सरकार ने अभी छह दिन पहले ही आरक्षण का लाभ लेकर प्रोन्नत हुए
सिंचाई विभाग के 60 इंजीनियरों को पदावनत किया था, लेकिन अब यूपी पावर
कारपोरेशन के कर्मचारी भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। यूपी पावर कारपोरेशन
के इंजीनियरों ने अवमानना याचिका दाखिल कर कोर्ट के आदेश के मुताबिक
आरक्षण का लाभ लेकर प्रोन्नति पाए लोगों को पदावन किये जाने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस नई अवमानना याचिका पर सोमवार को प्रदेश के मुख्य सचिव
आलोक रंजन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। ये नोटिस न्यायमूर्ति दीपक
मिश्र व न्यायमूर्ति पीसी पंत की पीठ ने इंजीनियर अरविंद राज वेदी, विनोद
कुमार शर्मा और महेश चंद्र की अवमानना याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किए।
इससे पहले इनके वकील राजीव धवन और कुमार परिमल ने कहा कि प्रदेश सरकार ने
प्रोन्नति में आरक्षण और परिणामी ज्येष्ठता समाप्त करने का सुप्रीमकोर्ट का
27 अप्रैल 2012 का आदेश पूरी तरह लागू नहीं किया है। उस आदेश के मुताबिक
प्रदेश सरकार को आरक्षण का लाभ लेकर प्रोन्नत हुए
लोगों को पदावनत करना था लेकिन
सरकार ने गत 30 मार्च को सिर्फ सिंचाई विभाग के लिए आदेश जारी किया, जबकि
सुप्रीम कोर्ट का आदेश सभी महकमों के लिए था। बल्कि यूपी पावर कारपोरेशन का
मामला तो मुख्य था।
पीठ ने दलीलें सुनने के बाद मुख्य सचिव आलोक रंजन को
नोटिस जारी किया और इस याचिका को भी मुख्य याचिका के
साथ संलग्न कर दिया। इतना ही नहीं कोर्ट ने कहा कि गत 7 जुलाई का आदेश इस
मामले मे भी लागू होगा। गत 7 जुलाई को कोर्ट ने सिंचाई विभाग के
कर्मचारियों की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर मुख्य सचिव को निजी तौर पर
हलफनामा दाखिल कर आदेश के अनुपालन के आंकड़े दस्तावेज पेश करने का आदेश
दिया था। आदेश के बाद उसी दिन राज्य सरकार ने सिंचाई विभाग 60 इंजीनियरों
को पदावनत कर दिया था।
मायावती सरकार ने वर्ष 2007 में यूपी गवर्नमेंट
सर्वेंट सीनियरिटी थर्ड एमेंडमेंट रूल में धारा 8 (क) जोड़ी थी। इसमें एससी
एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण और प्रोन्नति के साथ परिणामी ज्येष्ठता का
प्रावधान किया गया था। सुप्रीमकोर्ट ने 27 अप्रैल 2012 को प्रोन्नति में
आरक्षण और परिणामी ज्येष्ठता के कानून उत्तर प्रदेश लोकसेवा (अनुसूचित जाति
व अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्गो के लिए आरक्षण) कानून 1994 की
धारा 3 (7) और उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक ज्येष्ठता नियमावली 1991 के
संशोधित नियम 8(क) को रद कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जो भी
प्रोन्नतियां आरक्षण कानून की धारा (धारा 3 (7) व रूल 8 ए) का लाभ दिए बगैर
की गई हैं उन्हें इस फैसले के बाद न छेड़ा जाए। यानि इसका मतलब था कि जिन
प्रोन्नतियों में आरक्षण का लाभ दिया गया है उन्हें वापस पूर्व स्थिति में
लाया जाए। इसी मामले में अवमानना याचिका है।