वित्त विभाग ने तीन जून को प्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेज कर जुलाई में डीए का भुगतान करने को कहा है। इस प्रस्ताव से यह तो तय हो गया है कि जुलाई में डीए मिल जाएगा मगर जनवरी से जुलाई के बीच के पांच महीनों का ब्याज मारा जाएगा।
सरकार के इस लेट लतीफ रवैये से कर्मचारियों में नाराजगी है। एक जुलाई 2014 से 31 दिसंबर तक कर्मचारियों को 107 फीसद की दर से डीए मिला। एक जनवरी 2015 से इसमें छह फीसद की वृद्धि हो गई। इस तरह कुल डीए 113 प्रतिशत हो गया। निर्धारित मानक के अनुसार इसमें से 10 फीसद रकम राष्ट्रीय पेंशन स्कीम (एनपीएस) या फंड में व 90 फीसद एनएससी में जाएगी। जमा रकम पर ब्याज उस तारीख से मिलेगी, जिस तिथि को कर्मचारी के फंड में रकम जाएगी।
अगर एक जुलाई को भी डीए की रकम खाते में जाएगी तो एक जनवरी से 30 जून तक कर्मचारियों को ब्याज का नुकसान उठाना पड़ेगा। राज्य कर्मचारी शिक्षक संघ-समन्वय समिति के संयोजक हनुमान प्रसाद श्रीवास्तव का कहना है कि कर्मचारियों के प्रति सरकार का जो रवैया है, उससे साफ है कि जनवरी का डीए जुलाई में मिल रहा है तो जुलाई से देय डीए नवंबर-दिसंबर में मिलेगा।