- पेंशनर कभी भी जमा करें जीवित प्रमाण पत्र
पेंशनरों को जीवित प्रमाण पत्र देने में होने वाली जटिलताओं से अब मुक्ति मिल गयी है। एक जून से लागू की गयी नई सरलीकृत व्यवस्था के अंतर्गत पेंशनर वर्ष में प्रमाण पत्र कभी भी जमा कर सकते हैं। इस बाबत शासनादेश भी जारी कर दिया गया है।
अभी तक पेंशनरों को हर वर्ष एक नवम्बर से 20 दिसम्बर तक कोषागार में उपस्थित होकर या सक्षम अधिकारी से प्रतिहस्ताक्षरित कराकर जीवित प्रमाण-पत्र कोषागार में प्रस्तुत करना पड़ता था। शासन के संज्ञान में यह तथ्य लाया गया कि इस बाध्यता के कारण अस्थायी रूप से अपने बच्चों के पास अन्य राज्यों में रहने वाले पेंशनरों को सिर्फ जीवित प्रमाण पत्र देने के लिए आना पड़ता है। कई बार न आ पाने के कारण उनकी पेंशन रुक जाती है। तमाम पेंशनर अस्वस्थता के कारण भी कोषागार नहीं पहुंच पाते हैं। पेंशन रुक जाने से आर्थिक कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ता है। एक साथ समस्त पेंशनरों के कोषागार पहुंच जाने के कारण एक नवम्बर से 20 दिसम्बर तक कोषागारों में भी अधिक भीड़ होती है, जिससे अन्य कार्य प्रभावित होते हैं।
इन समस्याओं के समाधान के लिए अब पूरी प्रक्रिया का ही सरलीकरण कर दिया गया है। अब पेंशनर को सेवानिवृत्ति के बाद पहली पेंशन भुगतान तिथि के एक साल बाद जीवित प्रमाण पत्र देने की आवश्यकता होगी। यदि पेंशनर किसी कारणवश प्रमाणपत्र देने में असमर्थ हैं तो वह सुविधानुसार एक वर्ष पूरा होने के पहले ही अपना जीवित प्रमाणपत्र कोषागार में जमा कर सकते हैं। ऐसे में उन्हें अपना अगला प्रमाण पत्र एक वर्ष के अंदर कभी भी जमा करना होगा।
अभी तक पेंशनरों को हर वर्ष एक नवम्बर से 20 दिसम्बर तक कोषागार में उपस्थित होकर या सक्षम अधिकारी से प्रतिहस्ताक्षरित कराकर जीवित प्रमाण-पत्र कोषागार में प्रस्तुत करना पड़ता था। शासन के संज्ञान में यह तथ्य लाया गया कि इस बाध्यता के कारण अस्थायी रूप से अपने बच्चों के पास अन्य राज्यों में रहने वाले पेंशनरों को सिर्फ जीवित प्रमाण पत्र देने के लिए आना पड़ता है। कई बार न आ पाने के कारण उनकी पेंशन रुक जाती है। तमाम पेंशनर अस्वस्थता के कारण भी कोषागार नहीं पहुंच पाते हैं। पेंशन रुक जाने से आर्थिक कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ता है। एक साथ समस्त पेंशनरों के कोषागार पहुंच जाने के कारण एक नवम्बर से 20 दिसम्बर तक कोषागारों में भी अधिक भीड़ होती है, जिससे अन्य कार्य प्रभावित होते हैं।
इन समस्याओं के समाधान के लिए अब पूरी प्रक्रिया का ही सरलीकरण कर दिया गया है। अब पेंशनर को सेवानिवृत्ति के बाद पहली पेंशन भुगतान तिथि के एक साल बाद जीवित प्रमाण पत्र देने की आवश्यकता होगी। यदि पेंशनर किसी कारणवश प्रमाणपत्र देने में असमर्थ हैं तो वह सुविधानुसार एक वर्ष पूरा होने के पहले ही अपना जीवित प्रमाणपत्र कोषागार में जमा कर सकते हैं। ऐसे में उन्हें अपना अगला प्रमाण पत्र एक वर्ष के अंदर कभी भी जमा करना होगा।