- दस साल के योगदान पर 25 फीसद राशि निकालने की छूट
- तीन बार आंशिक निकासी का मौका, पांच वर्ष का अंतर जरूरी
केंद्र सरकार ने नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के नियमों में कुछ ढील देकर इसे निवेश का आकर्षक विकल्प बनाने की पहल की है। इसके तहत कुछ निश्चित आपात स्थितियों के लिए एनपीएस फंड की राशि को समय से पहले निकालने का विकल्प दिया गया है। पेंशन नियामक पीएफआरडीए ने एनपीएस से आंशिक राशि निकालने के नियमों में बदलाव कर इन्हें अधिसूचित भी कर दिया है। अभी तक एनपीएस में सेवानिवृत्ति से पहले फंड की राशि वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं था।
स्कीम के तहत साठ साल की उम्र तक निवेश की भागीदारी अनिवार्य है। इसमें न्यूनतम छह हजार रुपये का निवेश किया जा सकता है। वर्तमान में इसमें तीन तरह के निवेश फंड काम कर रहे हैं। सरकारी प्रतिभूति फंड, फिक्स्ड इनकम फंड और इक्विटी फंड। अभी तक सेवानिवृत्ति से पहले एनपीएस फंड की राशि को निकालने का कोई प्रावधान नहीं था। इसे लेकर निवेश सलाहकारों ने लिक्विडिटी नहीं होने के चलते इसकी सफलता को लेकर संदेह भी व्यक्त किया था। लिहाजा अब सरकार ने नियमों को लचीला बनाते हुए इस फंड की आंशिक राशि को एक निश्चित अवधि के बाद निकालने की सुविधा प्रदान कर दी है।
पीएफआरडीए की अधिसूचना के मुताबिक कोई भी व्यक्ति अगर दस साल से लगातार एनपीएस में योगदान कर रहा है तो वह कुछ निश्चित खर्चो के लिए फंड की 25 फीसद राशि जरूरत पड़ने पर निकाल सकता है। 1यह निकासी बच्चों की उच्च शिक्षा या विवाह, अपने पहले घर के निर्माण अथवा खरीद, और अपनी, पति या प}ी, बच्चों और एनपीएस धारक पर निर्भर माता, पिता की गंभीर बीमारी पर होने वाले खर्च के लिए हो सकती है। नियामक ने फंड निकासी के लिए गंभीर बीमारियां भी तय कर दी हैं। ऐसी बीमारियों की संख्या 13 है, जिनके लिए एनपीएस फंड से राशि निकाली जा सकती है। कोई भी एनपीएस धारक इन वजहों के लिए योगदान की पूरी अवधि में तीन बार आंशिक राशि निकाल सकता है।
लेकिन प्रत्येक बार दो निकासी के बीच पांच साल का अंतर होना जरूरी है। हालांकि यदि कोई गंभीर बीमारी हो जाती है तो पांच साल के अंतर की शर्त में छूट देने का प्रावधान भी है।1जहां तक इस स्कीम से बाहर आने का सवाल है, आप अगर स्कीम में सीधे योगदान कर रहे हैं तो साठ साल की उम्र के बाद ही इससे बाहर निकल सकते हैं। लेकिन यदि आप अपने नियोक्ता के जरिये योगदान कर रहे हैं तो आपकी कंपनी में सेवानिवृत्ति की जो उम्र निर्धारित है, वही आपको इसके लाभ मिलने के लिए भी लागू होगी।
स्कीम के तहत साठ साल की उम्र तक निवेश की भागीदारी अनिवार्य है। इसमें न्यूनतम छह हजार रुपये का निवेश किया जा सकता है। वर्तमान में इसमें तीन तरह के निवेश फंड काम कर रहे हैं। सरकारी प्रतिभूति फंड, फिक्स्ड इनकम फंड और इक्विटी फंड। अभी तक सेवानिवृत्ति से पहले एनपीएस फंड की राशि को निकालने का कोई प्रावधान नहीं था। इसे लेकर निवेश सलाहकारों ने लिक्विडिटी नहीं होने के चलते इसकी सफलता को लेकर संदेह भी व्यक्त किया था। लिहाजा अब सरकार ने नियमों को लचीला बनाते हुए इस फंड की आंशिक राशि को एक निश्चित अवधि के बाद निकालने की सुविधा प्रदान कर दी है।
पीएफआरडीए की अधिसूचना के मुताबिक कोई भी व्यक्ति अगर दस साल से लगातार एनपीएस में योगदान कर रहा है तो वह कुछ निश्चित खर्चो के लिए फंड की 25 फीसद राशि जरूरत पड़ने पर निकाल सकता है। 1यह निकासी बच्चों की उच्च शिक्षा या विवाह, अपने पहले घर के निर्माण अथवा खरीद, और अपनी, पति या प}ी, बच्चों और एनपीएस धारक पर निर्भर माता, पिता की गंभीर बीमारी पर होने वाले खर्च के लिए हो सकती है। नियामक ने फंड निकासी के लिए गंभीर बीमारियां भी तय कर दी हैं। ऐसी बीमारियों की संख्या 13 है, जिनके लिए एनपीएस फंड से राशि निकाली जा सकती है। कोई भी एनपीएस धारक इन वजहों के लिए योगदान की पूरी अवधि में तीन बार आंशिक राशि निकाल सकता है।
लेकिन प्रत्येक बार दो निकासी के बीच पांच साल का अंतर होना जरूरी है। हालांकि यदि कोई गंभीर बीमारी हो जाती है तो पांच साल के अंतर की शर्त में छूट देने का प्रावधान भी है।1जहां तक इस स्कीम से बाहर आने का सवाल है, आप अगर स्कीम में सीधे योगदान कर रहे हैं तो साठ साल की उम्र के बाद ही इससे बाहर निकल सकते हैं। लेकिन यदि आप अपने नियोक्ता के जरिये योगदान कर रहे हैं तो आपकी कंपनी में सेवानिवृत्ति की जो उम्र निर्धारित है, वही आपको इसके लाभ मिलने के लिए भी लागू होगी।