पेंशन कर्मचारी का अधिकार कृपा या दान नहीं : हाईकोर्ट
पेंशन कृपा या दान नहीं, यह कर्मचारी का वैधानिक
अधिकार है जो उसकी लंबी सेवा के बदले नियोक्ता द्वारा दिया जाता है। यह कोई
पुरस्कार भी नहीं है बल्कि वृद्धावस्था में गुजर बसर करने का सामाजिक व
आर्थिक न्याय है। यह टिप्पणी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को विद्युत
विभाग के कर्मचारी को बिना उचित कारण के पेंशन आदि सेवानिवृत्त परिलाभों का
भुगतान न करने के मामले में की।
न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने जय प्रकाश नारायण शर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए आदेश दिया है कि विद्युत विभाग को यह आदेश दिया है कि याची की विधवा को 12 फीसद ब्याज के साथ सेवानिवृत्त परिलाभो का भुगतान दो माह के भीतर किया जाए। कोर्ट ने क्वार्टर का किराया व विद्युत बिल बकाया याची के भुगतान में समायोजित करने की विभाग को छूट दी है। भुगतान मिलने के एक सप्ताह के भीतर याची की विधवा को सरकारी आवास खाली करने का भी आदेश दिया गया है।1याची को कमला नेहरू नगर कालोनी गाजियाबाद में सरकारी आवास मिला था।
गाजियाबाद सब स्टेशन में वह कनिष्ठ अभियंता था। सेवानिवृत्त होने के बाद उसे परिलाभो का भुगतान नहीं किया गया तथा सरकारी आवास खाली करने को कहा गया। जयप्रकाश ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। इस पर कोर्ट ने भुगतान करने या कारण स्पष्ट करने का विद्युत विभाग को निर्देश दिया और कहा कि भुगतान मिलने तक याची को सरकारी आवास में रहने दिया जाए। याची का कहना था कि पैसे की कमी के चलते वह किराए का मकान लेने में असमर्थ है। विभाग ने याची पर देनदारी होने के आधार पर भुगतान नहीं किया। सात साल से अधिक समय बीत गया, किन्तु याची पर देनदारी तय करने के लिए जांच नहीं बैठाई गयी और न ही विभाग ने आवास खाली कराने की कार्यवाही की। याची की मौत के बाद उसकी विधवा बच्चों के साथ सरकारी आवास में निवास कर रही है।
न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने जय प्रकाश नारायण शर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए आदेश दिया है कि विद्युत विभाग को यह आदेश दिया है कि याची की विधवा को 12 फीसद ब्याज के साथ सेवानिवृत्त परिलाभो का भुगतान दो माह के भीतर किया जाए। कोर्ट ने क्वार्टर का किराया व विद्युत बिल बकाया याची के भुगतान में समायोजित करने की विभाग को छूट दी है। भुगतान मिलने के एक सप्ताह के भीतर याची की विधवा को सरकारी आवास खाली करने का भी आदेश दिया गया है।1याची को कमला नेहरू नगर कालोनी गाजियाबाद में सरकारी आवास मिला था।
गाजियाबाद सब स्टेशन में वह कनिष्ठ अभियंता था। सेवानिवृत्त होने के बाद उसे परिलाभो का भुगतान नहीं किया गया तथा सरकारी आवास खाली करने को कहा गया। जयप्रकाश ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। इस पर कोर्ट ने भुगतान करने या कारण स्पष्ट करने का विद्युत विभाग को निर्देश दिया और कहा कि भुगतान मिलने तक याची को सरकारी आवास में रहने दिया जाए। याची का कहना था कि पैसे की कमी के चलते वह किराए का मकान लेने में असमर्थ है। विभाग ने याची पर देनदारी होने के आधार पर भुगतान नहीं किया। सात साल से अधिक समय बीत गया, किन्तु याची पर देनदारी तय करने के लिए जांच नहीं बैठाई गयी और न ही विभाग ने आवास खाली कराने की कार्यवाही की। याची की मौत के बाद उसकी विधवा बच्चों के साथ सरकारी आवास में निवास कर रही है।