- विभाग नहीं कर रहे सहयोग
- पायलट प्रोजेक्ट में ही फंसी ई पेंशन
- ई-पेंशन की गाड़ी उन्नाव व बाराबंकी में ही अटकी
- 100 दिन में बस 20 मामले हो सके ऑनलाइन
साढ़े तीन महीने और ई-पेंशन से जुड़ पाए पेंशन के महज बीस मामले। कछुए से भी धीमी चाल से चल रही ई-पेंशन सिस्टम के पायलट प्रोजेक्ट की गाड़ी बाराबंकी और उन्नाव से आगे ही नहीं खिसक पा रही है जबकि, इसी अवधि में करीब साठ से सत्तर मामलों का निस्तारण ऑनलाइन तरीके से हो जाना चाहिए था। ऐसे में पूरे सूबे में राज्य सरकार के अधिकारियों व कर्मचारियों को ई-पेंशन से जोड़ना सपने जैसा ही लग रहा है।
दिसंबर 2014 से सेवानिवृत्त अधिकारियों व कर्मचारियों को शामिल करते हुए ई-पेंशन सिस्टम का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। अभी पेंशन विभाग के पास सेवानिवृत्त अधिकारियों व कर्मचारियों की पत्रवलियों परंपरागत तरीके से ही आ रही हैं। ऐसे में पेंशनर्स को फाइल आगे बढ़वाने के लिए पुराना तरीका ही अपनाना पड़ रहा है। इसमें बाबू की ‘खुशामद’ से लेकर चप्पलें घिसना तक शामिल है। हकीकत यह है कि पायलट प्रोजेक्ट वाले इन जिलों में वेतन आहरण-वितरण अधिकारियों पर पेंशन निदेशालय का कोई अंकुश नहीं है और उनके विभागाध्यक्ष पेंशनर्स की इस अहम योजना को ऑनलाइन कराने में लापरवाही बरत रहे हैं। दरअसल विभाग पेंशन बनाने की पुरानी प्रथा से बाहर निकलना ही नहीं चाहता।
पेंशन निदेशालय के निदेशक बीकेएल श्रीवास्तव मानते हैं कि उन्नाव व बाराबंकी जिलों में शुरू हुए ई-पेंशन के पायलट प्रोजेक्ट को इन जिलों में राज्य सरकार के विभागों का अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा है। विभागों से पेंशन को ‘मैन्यूअली’ ही भेजा जा रहा है। वह कहते हैं कि ई-पेंशन सिस्टम में कोई गड़बड़ी नहीं है क्योंकि जनवरी से अब तक उन्नाव व बाराबंकी में दस-दस मामले ही ऑनलाइन निस्तारित किए गए हैं। वह कहते हैं कि बाराबंकी के लिए फैजाबाद मंडल और उन्नाव के लिए लखनऊ मंडल में तैनात पेंशन विभाग के अधिकारियों से कहा गया है कि वह विभाग के वेतन आहरण-वितरण अधिकारियों के साथ बैठक कर ई-पेंशन में आ रही बाधाओं को दूर करें।