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Saturday, June 22, 2024

उत्तर प्रदेश के सरकारी सेवकों द्वारा संचार के माध्यमों (मीडिया) का उपयोग किये जाने के सम्बन्ध में शासनादेश जारी

अब सरकारी कर्मचारियों पर भारी पड़ेगी सरकार की आलोचना

नियुक्ति विभाग के आदेश का विभागों को कड़ाई से पालन के निर्देश

किसी तरह के इंटरनेट मीडिया, प्रिंट, इलेक्ट्रानिक, इंटरनेट और डिजिटल मीडिया पर वक्तव्य देने पर प्रतिबंध



लखनऊ: प्रदेश सरकार ने सरकारी सेवकों द्वारा प्रिंट, इलेक्ट्रानिक, इंटरनेट व डिजिटल मीडिया में वक्तव्य देने या पोस्ट करने से सरकार के समक्ष खड़ी होने वाली असहज स्थिति को देखते हुए इस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। यानी अब सरकार की आलोचना कर्मचारियों पर भारी पड़ेगी। यदि ऐसा कोई करता है तो उन पर सरकार कड़ी कार्रवाई भी करेगी। साथ ही सरकारी पत्रावलियों से सूचना लीक करने पर भी कार्रवाई की जाएगी।

नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. देवेश चतुर्वेदी की ओर से जारी शासनादेश के तहत अब कोई भी राज्य कर्मी सरकार की नीतियों या फिर विभागीय निर्णयों के प्रति गलत टिप्पणी करेगा तो उस पर कार्रवाई हो सकती है। अखबारों में अनर्गल लेख लिखने या फिर मीडिया में बयान देने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। सरकारी कर्मचारी सिर्फ साहित्यिक, कलात्मक या वैज्ञानिक लेख ही लिख सकते हैं। 

प्रिंट, इलेक्ट्रानिक, सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, एक्स, वाट्सएप, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम या फिर अन्य प्लेटफार्म और डिजिटल मीडिया पर कोई भी टिप्पणी या मैसेज पोस्ट करने पर रोक रहेगी। कर्मचारी आचरण नियमावली के नियम-छह के तहत राज्य कर्मी बिना स्वीकृति समाचार पत्र का मालिक नहीं बनेगा और न ही उसका संचालन करेगा। समाचार पत्र या पत्रिका को लेख नहीं भेजेगा। गुमनाम, अपने नाम से या किसी अन्य के नाम से कोई पत्र न भेजेगा व लिखेगा।

नियम-सात में यह प्रविधान है कि कोई कर्मी रेडियो प्रसारण में गुमनाम या स्वयं अपने नाम से कोई ऐसी बात या मत व्यक्त नहीं करेगा जिसमें सरकार के निर्णयों की आलोचना हो। प्रदेश, केंद्र, या अन्य स्थानीय प्राधिकारी की किसी चालू या हाल की नीति की आलोचना नहीं करेगा, जिससे सरकार के आपसी संबंधों में उलझन पैदा हो या विदेश सरकार के आपसी संबंधों में समस्या आए। कोई अधिकारी या कर्मचारी सरकार के किसी आदेश के बिना कोई सूचना किसी को नहीं देगा।



बिना अनुमति मीडिया में अपनी बात नहीं कह सकेंगे सरकारी कर्मी

नियुक्ति विभाग ने अफसरों, कर्मचारियों के लिए जारी की गाइडलाइन

कलात्मक, साहित्यिक और वैज्ञानिक लेखों पर प्रतिबंध नहीं होगा लागू


लखनऊ। सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारी अब बिना अनुमति सोशल मीडिया समेत संचार के किसी भी माध्यम के जरिये अपनी बात नहीं कह सकेंगे। हालांकि यह नियम कलात्मक, साहित्यिक व वैज्ञानिक लेखों पर लागू नहीं होगा। अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक देवेश चतुर्वेदी ने बृहस्पतिवार को इसका शासनादेश जारी किया है। दरअसल शासन के संज्ञान में आया है कि नियमावली में स्पष्ट आदेशों के बावजूद कुछ सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा मीडिया में वक्तव्य दिए जा रहे हैं, जिससे सरकार के समक्ष असहजता की स्थिति उत्पन्न हो रही है।

शासनादेश के मुताबिक उप्र सरकारी कर्मचारियों की आचरण नियमावली के तहत समाचार पत्रों, रेडियो से संबंध रखने एवं सरकार की आलोचना आदि के संबंध में प्राविधान किए गये हैं। नियमों के मुताबिक सरकार की पूर्व अनुमति के बिना कोई सरकारी कर्मचारी किसी समाचार पत्र आदि का स्वामी नहीं बनेगा, उसका संचालन नहीं करेगा और संपादन कार्य या प्रबंधन में भाग नहीं लेगा। बिना अनुमति वह रेडियो प्रसारण में भाग नहीं लेगा। समाचार पत्र या पत्रिका को अपने लेख नहीं भेजेगा। गुमनाम अथवा अपने नाम अथवा किसी अन्य व्यक्ति के नाम से समाचार पत्र या पत्रिका को कोई पत्र नहीं लिखेगा। 

किसी भी सार्वजनिक कथन में वह कोई ऐसी बात नहीं कहेगा जिसमें प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार, स्थानीय प्राधिकारी, वरिष्ठ अधिकारियों के निर्णय अथवा नीति की प्रतिकूल आलोचना हो। वह ऐसी कोई टिप्पणी नहीं करेगा जिससे उप्र सरकार, केंद्र सरकार, विदेशी राज्य की सरकार या किसी अन्य राज्य की सरकार के आपसी संबंधों में उलझन पैदा हो। उन्होंने आदेशों की अवलेहना करने वालों के खिलाफ नियमों के तहत कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।


इनसे बनानी होगी दूरी 

प्रिंट मीडिया: समाचार पत्र, पत्रिकाएं
इलेक्ट्रानिक मीडिया : रेडियो, न्यूज चैनल आदि
सोशल मीडिया : फेसबुक, एक्स,
व्हाट्सएप, इस्टाग्राम, टेलीग्राम आदि डिजिटल मीडिया: समाचार पोर्टल आदि



यूपी सरकार का फरमान, न अखबार में लेख लिखें, न टीवी-रेडियो पर बोलें, लेनी होगी परमिशन, योगी सरकार ने अपने अफसरों और कर्मचारियों के लिए नई मीडिया गाइडलाइंस जारी

लखनऊ । योगी सरकार ने अपने अफसरों और कर्मचारियों के लिए नई मीडिया गाइडलाइंस जारी की है।अब अफसरों को किसी भी मीडिया माध्यम पर कुछ कहने या लिखने से पहले सरकार से इजाज़त लेनी होगी।आदेश में कहा गया है कि जिसको भी मीडिया में कुछ बोलना है उसको सरकार से इस बात की परमिशन लेनी होगी।बिना परमिशन के कोई भी सरकारी अफसर कुछ भी पोस्ट या लिख नहीं सकता।

सोशल मीडिया के लिए भी नियम तय कर दिए गए हैं।नया शासनादेश बुधवार रात जारी किया गया,जिसमें सख्ती से कहा गया है की हर अफसर को इस आचरण नियमावली का पालन करना होगा।आदेश में कहा गया है कि बिना मंजूरी लिए अखबार में किसी भी तरह का कोई लेख न लिखें, टीवी रेडियो पर न बोलें, साथ ही सोशल मीडिया पर भी न लिखें।


जानें क्या कहती है अधिसूचना

अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी द्वारा जारी शासनादेश में कहा गया है की प्रदेश के सरकारी कार्मचारियों के आचरण को विनियमित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारियों की आचरण नियमावली, 1956 प्रभावी है।इस आचरण नियमावली के नियम-3(2) में यह व्यवस्था है कि हर एक सरकारी कर्मचारी सभी समयों पर, व्यवहार और आचरण को विनियमित करने वाले अन्तर्निहित शासकीय आदेशों के अनुसार आचरण करेगा।इसके अलावा नियमावली के नियम-6, 7 और 9 में समाचार पत्रों या रेडियों से सम्बन्ध रखने और सरकार की आलोचना आदि के सम्बन्ध में प्राविधान किए गए हैं।


जानें किस तरह के मीडिया पर लागू होंगे आदेश

इस आदेश में साफतौर पर कहा गया है कि कोई भी अधिकारी बिना किसी शासनादेश या फिर मंजूरी के किसी भी तरह के प्रसारण में भाग नहीं लेगा या किसी समाचार पत्र या पत्रिका को लेख नहीं भेजेगा और गुमनाम से अपने नाम में या किसी अन्य व्यक्ति के नाम में, किसी समाचार पत्र या पत्रिका को कोई पत्र नहीं लिखेगा।हालांकि इस आदेश में ये बात भी कही गई है कि ऐसे प्रसारण या ऐसे लेख जो केवल साहित्यिक, कलात्मक या वैज्ञानिक हों, के लिए किसी तरह के स्वीकृति-पत्र को प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होगी।इस आदेश के अंडर प्रिन्ट मीडिया (समाचार पत्र-पत्रिकाएं इत्यादि), इलेक्ट्रानिक मीडिया (रेडियो और न्यूज चैनल इत्यादि), सोशल मीडिया (फेसबूक, एक्स (पूर्व में ट्विटर) वाट्सएप, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम आदि और डिजिटल मीडिया (समाचार पोर्टल इत्यादि) शामिल हैं।



उत्तर प्रदेश के सरकारी सेवकों द्वारा संचार के माध्यमों (मीडिया) का उपयोग किये जाने के सम्बन्ध में शासनादेश जारी
 


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